________________ 18 श्रुत स्नरत्नाकरे mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm भत्तपरिन्नामरणं दुविहं सविआरमो य अविआरं / . सपरक्कमस्स मुणिणो संलिहिअतगुस्स सविआरं // 10 // अपरकमस्स काले अप्पहुप्पंतमि जं तमविआरं / तमहं भत्तपरिन्नं जहापरिन्नं भणिस्सामि // 11 // धिइबलविअलाणमकालमच्चुकलिआणमकयकरणाणं / निरवज्जमज्जकालिअजईण जुग्गं निरुवस्सग्गं / / 12 / / परमसुहसप्पिवासो असोअहासो सजीविअनिरासो / विसयसुहविगयरागो धम्मुज्जमजायसंवेगो // 13 // निच्छिअमरणावत्थो वाहिग्घत्थो जई गिहत्थो वा / भविओ भत्तपरिन्नाइ नायसंसारनिग्गुन्नो // 14 // पच्छायावपरद्धो पियधम्मो दोसदूसणसयण्हो / अरहइ पासत्थाईवि दोसदोसिल्लकलिओवि / / 15 / / वाहिजरमरणमयरो निरंतरुप्पत्तिनीरनिकुरंसो। परिणामदारुणदुहो अहो ! दुरंतो भवसमुद्दो // 16 // इअ कलिउण सहरिसं गुरुपामूलेऽभिगम्म विणएणं / भालयलमिलिअकरकमलसेहरो वंदिउं भणइ // 17 // आरुहिअमहं सुपुरिस ! भत्तपरिन्नापसत्थबोहित्थं / निजामएण गुरुणा इच्छामि भवन्नवं तरिउं // 18 // कारुन्नामयनीसंदसुंदरो सोऽवि से गुरू भणइ / आलोअणावयखामणपुरस्सरं तं पवजेसु // 19 // इच्छामुत्ति भणित्ता भत्तीबहुमाणसुद्धसंकप्पो। गुरुणो विगयावाए पाए अभिवंदिउं विहिणा / / 20 / /