________________ आउरपच्चक्खाणपयन्नो (3) असंजममन्नाणं, मिच्छत्तं सव्वमेव य ममत्तं / जीवेसु अजीवेसु अ, तं निदे तं च गरिहामि // 30 // निंदामि निंदगिजं, गरिहामि अ च जं मे गरहणिजं / आलोएमि अ सव्वं, अभितर-बाहिरं उवहिं / / 31 / / जह बालो जंपतो, कजमकजं च उज्जु भणइ / तं तह आलोइ जा, मायामयविप्पमुक्को य // 32 / / नाणम्मि दसणम्मि य, तवे चरित्ते य चउसु वि अकंपो / धीरो आगमकुसलो, अपरिरसावी रहस्साणं // 33 // रागेण व दोसेण व, जं भे अकयन्नुआ पमाएणं / जो मे किंचिवि भणिओ, तमहं तिविहेण खामेमि // 34 // तिविहं भगति मरणं बालाणं बालपंडियाणं च / तइयं पंडियमरणं, जं केवलिणो अणुमरंति // 35 / / जे पुण अट्ठमईया, पंयलियसन्ना य वक्कभावा य / असमाहिणा मरंति, नहु ते आराहगा भणिया // 36 / / मरणे विराहिए देव-दुग्गई दुल्लहा न्य किर बोही / संसारो य अणंतो, हवइ पुणो आगमिस्साणं // 37 // का देवदुग्गई ? का अबोहि ?, केणेव वुज्झइ मरणं ? / केण अणंतंपारं, संसारं हिंडई ? जीवो // 38 // . कंदप्पदेवकिव्विस- अभिओगा आसुरी य संमोहा / ता देवदुग्गईओ, मरणंमि विराहिए हुंति / / 39 // .. . मिच्छादसणरत्ता, सनियाणा किण्हलेसमोगाढा। ... इह जे मरंति जीवा, तेसिं दुलहा भवे बोही // 40 //