________________ चउसरणपयन्नो (2) पत्तेण अपत्तेण य, पत्ताणि य जेण नरमुरसुहाई / मुक्खसुहं पुण पत्तेण, नवरि धम्मो स मे सरणं // 43 // निद्दलिअकलुसकम्मो, कयसुहजम्मो खलीकयअहम्मो / पमुहपरिणामरम्मो, सरणं मे होउ जिणधम्मो // 44 // कालत्तएवि न मयं, जम्मणजरमरणवाहिसयसमयं / अमयं व बहुमयं, जिणमयं च सरणं पवन्नोहं // 45 / / पसमिअकामपमोहं, दिट्ठादिढेसु न कलियविरोहं / सिवसुहफलयममोहं, धम्म सरगं पवन्नोहं // 46 // नरयगइगमणरोहं, गुणसंदोहं पवाइनिक्खोहं / निहणियवम्महजोहं, धम्म सरण पवन्नोहं // 47 // भासुर-सुवन्नसुंदर-रयणालंकारगारवमहग्धं / निहिमिव दोगञ्चहरं, धम्मं जिणदेसिअं वंदे // 48 // चउसरणगमणसंचिअ-सुचरिअ-रोमंचअंचिअसरीरो / कयदुक्कडगरिहा-असुह; कम्मक्खयकंखिरो भणइ // 49 // इहभविअमन्नभविअं, मिच्छत्तपवत्तण जमहिगरणं / जिणपवयणपडिकुटुं, दुर्ट गरिहामि तं पावं // 50 // मिच्छत्ततमंधेणं, अरिहंताइसु अवन्नवयणं जं / अन्नाणेण विरइअं, इन्हि गरिहामि तं पावं // 51 // सुअधम्मसंघसाहुसु, पावं पडिणीअयाइ जं रइअं / अन्नेसु अ पावेसुं, इन्हि गरिहामि तं पावं // 52 // अन्नेसु अ जीवेसुं, मित्ती-करुणाइगोअरसु कयं / परिआवणाइ दुक्खं, इन्हि गरिहामि तं पावं // 53 //