________________ श्रुत रत्नरत्नाकरे पुत्ताइसु पडिबद्धा अन्नाणपमाय संगया जीवा / उप्पज्जति धणप्पियवणि उव्वेगिदिएसु बहुं // 185 // विगलिंदिया अवत्तं रसंति सुन्नं भमंति चिटुंतं / लोलंति घुलंति खलंति जति निहणंपि छुहवसगा // 186 // जिणधम्मुवहासेणं कामासत्तीइ हिययसढयाए / उम्मग्ग देसणाए सयावि केलीकिलत्तेण // 187 // कूडक्कय अलिएणं परपरिवाएणं पिसुणयाए य / विगलिंदिएसु जीवा वच्चंति पियंगुवणिओव्वं // 188 // पंचिदियतिरियावि हु सीयायवतिव्व छहपिवासाहि / अन्नोऽन्नगसणताडण भारुव्वहणाइसंतविया // 189 // पिढें घ8 किमिजाल संगयं परिगयं च मच्छीहि / वाहिज्जति तहावि हु रासहवसहाइणो अवसा // 190 // बाहेऊण सुबहुयं बद्धा कीलेसु छुह पिवासेहिं / वसहतुरगाइणो खिज्जिऊण सुइरं विवज्जंति // 191 // आराकसाइघाएहिं ताडिया तडतडत्ति फुटुंति / अणवेक्खिय सामत्था भरम्मि वसहाइणो जुत्ता // 192 // धणदेवसेटिवसहो कंबलसबला य एत्थुदाहरणं / भरवहण खुहपिवासाहिं दुक्खिया मुक्कनियजीवा // 193 // निद्दयकसपहर फुडंतजंघवसगाहिं गलियरुहिरोहा / जलभर संपूरिय गुरु तडंग भज्जंत पिंटुंगा // 194 / / निग्गयजीहा पगलंतलोयणा दीहरच्छ्यिग्गीवा। वाहिज्जंता महिसा पेच्छसु दीणं पलोयति // 195 //