________________ श्रुत रत्नरत्नाकरे तह रजं तह विहवो तह चउरंग बलं तहा सयणा। .. कोसंबिपुरीराया न रक्खिओ तहवि रोगाणं // 31 // सविलासजोव्वणभरे वहंतो मुणइ तणसमं भुवणं / पेच्छइ न उच्छरंतं जराबलं जोव्वणदुमगिंग // 32 // नवनव विलास संपत्तिसुत्थियं जोव्वणं वहंतस्स / चित्तेऽवि न वसइ इमं थेवंतरमेव जरसेन्नं // 33 // अह अन्नदिणे पलियच्छलेण होऊण कण्णमूलम्मि / धम्मं कुणसुत्ति कहंति हव्वं निवडइ जराधाडी // 34 // निवडती य न एसा रक्खिज्जइ चक्किणोऽवि सेन्नेण / जं पुण न हुंति सरणं धणधन्नाईणि. किं चोजं ? // 35 // . वलिपलियदुरवलोयं गलंतनयणं धुलंतमुहलालं / रमणीयणहसणिजं एइ असरणस्स वुड्ढत्तं // 36 // जरइंदयालिणीए कावि हयासाएँ असरिसा सत्ती / कसिणावि कुणइ केसा मालइकुसुमेहिं अविसेसा // 37 // दलइ बलं गलइ सुई पाडइ दसणे निरंभए दिडिं। . जररक्खसी बलिणवि भंजइ पिट्ठिपि सुंसिलिटुं / / 38 // सयणपराभवसुन्नत्तवाउसिंभाइयं जरासेन्नं / गुरुयाणंपि हु बलमाणखंडणं कुणइ वुड्ढत्ते // 39 // जरभीया य वराया सेवंति रसायणाइ किरियाओ। . गोवंति पलियवलिांडकूवे नियजम्ममाईणि / / 40 // न मुणंति मूढहियया जिणवयणरसायणं च मोत्तूणं / सेसोवाएहिं निवारिया विहु ढुक्कइ पुणोऽवि / / 41 //