________________ धम्मरयणपगरणं (7) mmmmmmmmmmmmmmarrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr बालिसजणकीलावि हु लिंग मोहस्सणत्थदंडाओ। फरूसं वयणाभिओगो न संगओ सुद्धधम्माणं // 41 // जइवि गुणा बहुरुवारा तहवि हु पंचहि गुणेहि गुणवंतो। इह मुणिवरेहि भणिओ सरूवमेसिं निसामेहि // 42 // सज्झाए करणंमि य विणयम्मि य निच्चमेव उज्जुत्तो। सव्वत्थणभिनिवेसो वहइ रुई सुट्ठ जिणवयणे // 43 // पढणाईसज्झायं वेरग्गनिबंधण कुणइ विहिणा / तवनियमवंदणाईकरणमि य निच्चमुज्जमइ // 44 // अब्भुट्ठाणाईयं विणयं नियमा पउंजइ गुणीणं / अणभिनिवेसो गीयत्थभासिय नन्नहा मुणइ // 45 // सवणकरणेसु इच्छा होइ रुई सदहाणसंजुत्ता / एईए विणा कत्तो सुद्धी सम्मत्तरयणस्स // 46 // उजुववहारो चउहा जहत्थभणणं अवंचिगा किरिया / हुंतावायपगासण मेत्तीभावो य सब्भावा // 47 // अन्नहभणणाईसुं अबोहिबीयं पररस नियमेण / तत्तो भवपरिवुड्ढी ता होज्जा उज्जुववहारी // 48 // सेवाए कारणेण य संपायणभावओ गुरुजणस्स / मुरसूसणं कुणंतो गुरुसुस्सूसो हवइ चउहा // 49 // सेवति कालंमि गुरुं अकुणंतो ज्झाणजोगवाघायं / सय वन्नवायकरणा अन्नेवि पवत्तई तत्थ // 50 // ओसहभेसज्जाई सओ य परओ य संपणामैइ / * सइ बहुमन्नेइ गुरुं भावं चणुवत्तए तस्स // 51 //