________________ श्रुत रत्नरत्नाकरे mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm पायद्धगुणविहीणा एएसि मज्झिमा वरा नेया। एत्तो परेण हीणा दरिद्दपाया मुणेयव्वा // 30 // . धम्मरयणस्थिणा तो पढमं एयज्जणंमि जइयव्वं / जं सुद्धभूमिगाए रेहइ चित्तं पवित्तंपि // 31 // सइ एयंमि गुणोहे संजायइ भावसावयत्तंपि / तस्स पुण लक्खणाई एयाई भणति सुहगुरुणो // 32 // कयवयकम्मो तह सीलवं च गुणवं च उज्जुववहारी। गुरुसुस्सूसो पवयणकुसलो खलु सावगो भावे // 33 // तत्थायन्नण-जाणण-गिण्हण-पडिसेवणेसु उज्जुत्तौ / कयवयकजो चउहा भावत्थो तस्सिमो होइ // 34 // विणयबहुमाणसारं गीयत्थाओ करेइ वयसवणं / , भंगयभेयइयारे वयाण सम्मं वियाणाइ // 35 // गिण्हइ गुरूण मूले इत्तरमियरं व कालमह ताई / आसेवइ थिरभावो आयंकुवसग्गसंगेवि // 36 // आययणं खु निसेवइ वज्जइ परगेहपविसणमकज्जे / निच्चमणुब्भडवेसो न भणइ सवियारवयणाई // 37 // परिहरइ बालकील साहइ कज्जाइँ महुरनीईए / इय छब्विहसीलजुओ विन्नेओ सीलवंतोत्थ // 38 // आययणसेवणाओ दोसा झिज्जति वड्ढइ गुणोहो / परगिहगमणपि कलंकपंकमूलं सुसीलाणं // 39 // सहइ पसंतो धम्मी उब्भडवेसो न सुंदरो तस्स / सवियारजंपियाइं नूणमुईरंति रागरिंग // 40 //