________________ उवएसमाला (6) हीणस्सऽवि सुद्धपरूवगरस संविग्गपक्खवायस्स / जा जा हविज जयणा, सा सा से निजरा होइ // 526 // सुक्काइयपरिसुद्धे, सइ लाभे कुणइ वाणिओ चिट्ठ / एभेव य गीयत्थो, आयं दट्टुं समायरइ // 527 // आमुक्कजोगिणो च्चिअ, हवइ थोवाऽवि तस्स जीवदया। संविग्गपक्खजयणा, तो दिट्ठा साहुवग्गरस // 528 // किं मूसगाणा अत्येण ? किं वा कागाण कणगमालाए ? / मोहमलखविलिआणं, किं कज्जुवएसमालाए ? // 529 // चरणकरणालसाणं, अविणयबहुलाण सययऽजोगमिणं / न मणी सयसाहस्सो आबज्झइ कुच्छभासस्स // 530 // नाऊण करयलगयाऽऽमलं व सब्भावओ पहं सव्वं / धम्मम्मि नाम सीइज्जइत्ति कम्माइं गुरुआई // 531 // धम्मत्थकाममुक्खेसु जस्स भावो जहिं जहिं रमइ / वेरग्गेगंतरसं न इमं सव्वं सुहावेइ // 532 // संजमतबालसाणं, वेरग्गकहा न होइ कण्णसुहा / संविग्गपक्खियाणं, हुज़ व केंसिंचि नाणीणं // 533 // सोऊण पगरणमिणं, धम्मे जाओ न उज्जमो जस्स / न य जणियं वेरग्गं, जाणिज्ज अणंतसंसारी // 534 // कम्माण सुबहुआणुवसमेण उवगळूई इमं सव्वं / कम्ममलचिक्कणाणं वच्चइ मासेण भन्नतं // 535 / / * उवएसमालमेयं जो पढइ सुणइ कुणइ वा हियए / सो जाणइ अप्पहियं नाऊण सुहं समायरई // 536 //