________________ 89 उवएसमाला (6) इंदियकसायगारवमएहिं सययं किल्लिट्ठपरिणामो / कम्मघणमहाजालं, अणुसमयं बंधई जीवो // 460 / / परपरिवायविसाला, अणेगकंदप्पविसयभोगेहिं / संसारत्था जीवा, अरइविणोअं करतेवं // 461 / / आरंभपायनिरया, लोइअरिसिणो तहा कुलिंगी अ / दुहओ चुक्का नवरं, जीवंति दरिद्दजियलोए // 462 // सव्यो न हिंसियव्यो, जह महिपालो तहा उदयपालो / नय अभयदाणवइणा, जणोवमाणेण होयव्वं // 463 // पाविज्जइ इह वसणं, जणेण तं छगलओ असत्तुत्ति / न य कोइ सोणियबलि, करेइ वग्घेण देवागं // 464 // वच्चइ खगेण जीवो, पित्तानिलधाउसिंभखोभेहिं / उज्जमह मा विसीअह, तरतमजोगो इमो दुलहो / / 465 / / पंचिंदियत्तणं माणुसत्तणं आरिए जगे सुकुलं / साहुसमागम सुणणा, सद्दहणाऽरोग पव्वज्जा // 466 // आउं संविल्लंतो, सिढिलंतो बंधणाइँ सव्वाई। देहटिअं मुयंतो, झायइ कलुणं बहुं जीवो // 467 / / इकंऽपि नत्थि जं सुठु सुचरियं जह इमं बलं मज्झ / को नाम दढक्कारो, मरणते मंदपुण्णस्स ? // 468 // युग्मम् / / सूल-विस-अहि-विसूई-पागीसत्थग्गि-संभमेहिं च / देहंतरसंकमणं, करेई जीवो मुहुत्तेण // 469 // कत्तो चिंता सुचरियतवस्स गुणसुट्टियरस साहुस्स ? / सोगइगमपडिहत्थो, जो अच्छइ नियमभरियभरो // 470 //