________________ 88 उवएसमाला (6) उवएसं पुण तं दिति जेण चरिएण कित्तिनिलयाणं / . .. देवाणऽवि हुंति पहू, किमंग पुण मणुअमित्ताणं ? // 449 // वरमउडकिरीडधरो, चिंचइओ चवलकुंडलाहरणो / सको हिओवएसा, एरावणवाहणो जाओ // 450 / / रयणुज्जलाइँ जाई, बत्तीसविमाणसयसहस्साई / वज्जहरेण वराइँ, हिओवएसेण लद्धाइं // 451 // सुरवइसमं विभूई, जं पत्तो भरहचक्कवट्टीऽवि / माणुसलोगस्स पहू, तं जाण हिओवएसेण // 452 // लधुण तं सुइसुहं, जिणवयणुवएसममयबिंदुसमं / अप्पहियं कायव्वं, अहिएसु मणं न दायव्वं // 453 // हियमप्पणो करितो, करस न होइ गरुओ गुरू गण्णो!। अहियं समायरंतो, कस्स न विप्पञ्चओ होइ ? // 454 // जो नियमसीलतवसंजमेहिं जुत्तो करेइ अप्पहियं / सो देवयं व पुजो, सीसे सिद्धत्थओ व्व जणे // 455 // सव्वो गुणेहिं गण्णो, गुणाहिअस्स जह लोगवीरस्स / संभंतमउडविडवो, सहस्सनयणो सययमेइ // 456 // चोरिक्कवंचणाकूडकवडपरदारदारुणमइरस / तस्स च्चिय तं अहियं, पुणोऽवि वेरं जणो वहइ // 457 // जइ ता तणकंचणलुट्ठ (लिटु ?) रयणसरिसोवमी जणो जाओ। तझ्या नणु वुच्छिन्नो, अहिलासो दव्वहरणम्मि // 458 // .. आजीवगगणनेया, रज्जसिरिं पयहिऊण य जमाली। . . हियमप्पणो करितो, नय वयणिज्जे इह पडतो // 459 // .