________________ // 19 // = // 20 // // 21 // // 22 // = ... // 23 // = // 24 // पार्श्वे समन्तभद्रोऽथ, सुखोपमगुरोर्वतम् / जग्राह पितरौ पृष्ट्वा, द्वादशाङ्गधरोऽभवत् गुरुभिर्योग्यतां ज्ञात्वा, पदे स्वीये निवेशितः / महाभद्राऽपि संप्राप्ता, यौवनं स्मरकाननम् गन्धर्वपुरनाथेन, परिणीता दिवाकृता / दैवादसौ गतोऽस्तं सा, गुरुणा प्रतिबोधिता ललौ भागवती दीक्षां, जाता चैकादशाङ्गभृत् / प्रवतिनी कृता दक्षा, गीतार्था गुरुभिस्ततः अन्यदा विहरन्ती सा, पूज्या रत्नपुरं ययौ / चन्द्रज्योत्स्नेव ताराभिः, साध्वीभिः परिवारिता राजा मगधसेनोऽभूत्, तत्र देवी सुमङ्गला / पुरुषद्वेषिणी जाता, सुता सुललिता तयोः अभूतां जननीतातौ, तच्चिन्तादग्धमानसौ / श्रुत्वा मान्यां महाभद्रामागतां हृदि नन्दितौ गतावादाय तनयां, तां प्रणन्तुमुपाश्रये / धर्मलाभस्तया दत्तः, प्रदत्ता धर्मदेशना तद्वचोऽबुध्यमानापि, तस्यां स्नेहमुपागता / पूर्वाभ्यासात् सुललिता, तन्मुखन्यस्तलोचना प्रवृद्धस्नेहकल्लोलाक्रान्तचित्ताऽथ सा.ततः / स्थास्याम्येनां विना नाहमित्यभिग्रहमग्रहीत् अतिकष्टाद् वचस्तस्याः, पितृभ्यां तत्प्रतिश्रुतम् / स्वीकारितं च न ग्राह्या, प्रव्रज्याऽस्मदपृच्छया अथ साऽनु महाभद्रां, विजहार तमोभिदम् / निशेव शशिनो ज्योत्स्नामेकनिर्बन्धबन्धुरा = // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // ___ = // 30 // 40