________________ // 76 // मखा। ता जइ कुणंति केइ तुह वयणं देसु तेसु उवएसं / अह नो कुणंति रे जीव रमसु नो जत्थ रागाइ केण वि गुणेण दंसणपभावगं पिच्छिऊण आयरियं / केई कसायनडिया तं पि हीलंति मूढमई // 77 // कप्पम्मि वि भणियमिणं सूरीणामासायगा इमे भणिया / जे सयलजणसमक्खं भणंति एवं अहम्माणी // 78 // इड्डिरससायगरुया परोवएसुज्जया जह मंखा / अत्तट्ठघोसणरया घोसिति दीया व अप्पाणं // 79 // अन्नं च एत्थ दोसो लोयविरुद्धं हविज्ज इव वयणं / रीढा जणपुज्जाणं वयणाउ ता तुमं जीव // 80 // मा मा कुणसु अवन्नं सया वि तेसिं कसायनडिओ वि। . जेण भवपंजराओ मुच्चसि निस्संसयं झत्ति // 81 // तित्थयरवंदणिज्जं संघ पि खिवेइ कोइ अइबालो। नत्थि संघो एसो भणिओ आसायगो कप्पे // 82 // अक्कोसतज्जणाई संघमहिक्खिवइ संघपडिणीओ। अन्ने वि अत्थि संघा सियालणंतिक्कमाईणं . // 83 // उग्घाडणाभएणं सुयकेवलिणा वि मनिओ संघो / पुव्वाणं परिवाडी देहि भणंतो महासइणा . // 84 // अम्हाणं चिय संघो अन्नाणं न उण लक्खणाभावा। नेवं वोत्तुं जुत्तं छउमत्थाणं जओ भणियं // 85 // परमरहस्समिसीणं सम्मत्तगणिपिडगभत्थसाराणं / परिणामियं पमाणं निच्छयमवलंबमाणाणं . // 86 // संघस्सोवरि वयणं किं पि मा भणसु जीव ! पडिकुटुं / जइ तित्थंकरवयणं मणम्मि भावेण संपत्तं // 87 // .. 247