________________ पुत्रोऽस्ति जगदाह्लादी, तयोरेकः शुभोदयः / अन्योऽशुभोदयो नाम, जगत्सन्तापकारक: // 224 // भार्या शुभोदयस्यास्ति, चारुता जनशर्मदा / अचारुताख्या त्वशुभोदयस्य जनभीतिकृत् // 225 // विचक्षणोऽजनि शुभोदयचारुतयोः सुतः / अन्ययोस्तु जडो नाम, गुणग्रामपराङ्मुखः // 226 // अक्षुद्रः प्रशमी दान्तः, पूजको गुरुसन्ततेः / देवसेवापरो दाता, गुणदोषविशेषवित् // 227 // लक्ष्मीलाभेऽप्यनुत्सितो, व्यसनेऽप्यविषादवान् / परनिन्दानिजश्लाघारहितः परकार्यकृत् // 228 // मध्यस्थः सत्यवादी च, विनीतो नतवत्सलः / मार्गानुसारी मतिमान्, जातस्तत्र विचक्षणः (त्रिभिर्विशेषकम्)॥ 229 // जडस्त्वभूद् विपर्यस्तस्वान्तः पैशुन्यभाजनम् / सत्यसंयमसन्तोषशौचसंस्कारवर्जितः . // 230 // प्रतिज्ञास्खलितो देवगुरुनिन्दाविधायकः / क्षुद्रो लोभरतिर्दीनः, सुहृदां चित्तभेदकृत् // 231 // भिन्नो वाचि कियायो च, जातानन्दः परापदि / परसम्पदि जातातिर्गर्वाध्मातोऽफलक्रियः (त्रिभिविशेषकम्) // 232 // ईदृग्लक्षणयुक्तौ तौ, स्वगृहे सुखलालितौं / विचक्षणजडौ प्राप्तौ, तारुण्योल्लसितां दशाम् // 233 // इतश्च गुणरत्नौघपूर्णपण्यापणावलि / पुरं विमलचित्ताख्यमस्ति स्वस्तिनिकेतनम् // 234 // जयत्यनन्तगुणभून॒पस्तत्र सलक्षयः / कषायतनुताकोशादक्षयो जनितोदयः // 235 // . 140