________________ श्री वर्द्धमानक्रमकमलोपजीविश्रीचक्रेश्वरसूरिविरचितम् ॥सभापञ्चकप्रकरणम् // पंच सभा पन्नत्ता उववायसभा तहाभिसेयसभा / तइयाऽलंकारसभा ववसायसभा चउत्थी ओ // 1 // पंचमीया सोहम्मा देवो पढमाएँ तत्थ उववज्जे / आउस्संतो ! देवा बीयाएँऽभिसिच्चई ते उ // 2 // तइयाएऽलंकरिज्जइ ववसायसभाएँ धम्मियं सत्थं / वायइ तत्तो उत्तरपुरच्छिमम्मी दिसाभागे // 3 // सोहम्माए संठिय सिद्धाययणस्स वंदणनिमित्तं / चल्लइ तत्तो हायइ चेइयतणयाए वावीए. नंदापुक्खरणीए पुव्वद्दारेण पविसइ तत्तो / सिद्धाययणं तत्थ वि वच्चेइ जिणाण आलोए // 5 // आलोयम्मि पणामं करेइ पडिलेह लोमहत्थेणं / / ताओ पमज्ज गंधोदएण न्हावेइ सुरहेणं // 6 // कासाईए गायाई लूहई चंदणेण लिंपइ य। . अहयाई जुयलयाई नियंसई देवदूसाणं पकरइ पुप्फारुहणं मल्लारुहणं च गंधआरुहणं / पुन्नाणं कलसाणं वत्थाभरणाण आरुहणं // 8 // पकरेइ सुविउलघणपमाणमालाउलं च फुल्लहरं / करयलपब्भट्ठदसअद्धवनकुसुमुक्करं किरइ // 9 // जिणपडिमाणं पुरओ रययामयएहिं सहअच्छेहिं / अच्छरसतंदुलेहिं तुसारगोखीरसेएहिं // 10 // दप्पण 1 भद्दासण 2 वद्धमाण 3 वरकलस 4 मच्छ५ सिरिवच्छा 6 / सोत्थिय 7 नंदावते 8 लिहेइ अट्ठमगंलए // 11 // // 7 //