________________ // 143 // // 144 // // 145 // // 146 // // 147 // // 148 // इय संखाणं भणियं अहुणा संखाणयस्स पत्थावा / संखेज्जमसंखेज्जं अणंतयं पि य भणिस्सामि संखेज्जमसखेज्जं अणंतयं तिविहमित्थ संखाणं / संखेज्जं पुण तिविहं जहन्नयं मज्झिमुक्कोसं तिविहमसंखेज्जं पुण परित्त जुत्तं असंखयासंखं / . एक्कक्कं पुण तिविहं जहन्नमं मज्झिमुक्कोसं तिविहमणंतं पि तहा परित्त जुत्तं अणंतयाणंतं / एक्ककं पण तिविहं जहन्नयं मज्झिमुक्कोसं एवं तिभेयभिण्णं संखेज्जं एत्थ होइ नायव्वं / अस्संखेज्जं नवहा नवभेयमणंतयं पि तहा एगत्थ मीलियंमी इगवीसं एत्थ हुंति ठाणाई। नवरं सिद्धंतम्मि वीसं ठाणा उ वागरंति इगवीसइमं ठाणं उक्कोसमणंतणंतयं जं तं / नो घेत्तव्वमियाणि वीसइठाणाणहं वोच्छं जंबूदीवपमाणा चउरो पल्ला हवंति तहिं पढमो / अणवट्ठियो उ पल्लो बीओ उ सलायपल्लो त्ति . तइओ उ पडिसलायापल्लो तुरियो महासलायाणं / पल्ला एए चउरो जोयणसहसं च ओगाढा रयणप्पभाएँ पढमं रयणकंडं विभिदिउं बीए / वइरक्कंडम्मि उवरि पइट्ठिओ जाणऽणवठप्पो ससिहा सवेइयंता एवं च ववट्ठिए सुणह एवं / दो सरिसवा जहन्नं संखेज्जं होइ जिणभणियं मज्झिमसंखेज्ज़मिमं तु होइ तिपभीति जाव उक्कोसं / नो पावइ तस्स वि पयडणत्थ पल्ला पभन्नति 238 // 149 // // 150 // // 151 // // 152 // // 153 // // 154 //