________________ आरंभसयंकरणं अट्ठमिया अट्ठ मास वज्जेइ। नवमा नव मासे पुण पेसारंभे वि वज्जेइ . // 990 // दसमा दस मासे पुण उद्दिट्टकयं पि भत्त न वि भुंजे।। सो होइ उ छुरमुंडो सिहालिं वा धारए कोई // 991 / / जं निहियमत्थजायं पुच्छंत सुयाण नवरि सो तत्थ / जइ जाणइ तो साहूइ अह न वि तो बेइ न वि याणे : // 992 // खुरमुंडो लोएण व रयहरणं पडिग्गहं च गिण्हित्ता। समणो हूओ विहरइ मासा एक्कारसुक्कोसं . // 993 // ममकारेऽवोच्छिन्ने वच्चइ सन्नायपल्लि दट्टुं जे। .. तत्थ वि साहु व्व जहा गिण्हइ फासुं तु आहारं // 994 // जव जवजव गोहुम सालि वीहि धन्नाण कोट्ठयाईसुं। खिविऊणं पिहियाणं लत्ताणं मुंद्दियाणं च / // 995 // उक्कोसेणं ठिइ होइ तिन्नि वरिसाणि तयसु एएसि। विद्धंसिज्जइ जोणी तत्तो जायइ अबीयत्तं. // 996 // तिल मुग्ग मसूर कलाय मास चवलय कुलत्थ तुवरीणं / तह कसिणचणय वल्लाण कोट्ठयाईसु खिविऊणं // 997 // ओलित्ताणं पिहियाण लंछियाणं च मुद्दियाणं य / उक्किट्ठट्ठिई वरिसाण पंचगं तो अबीयत्तं // 998 // अयसी लट्टा कंगू कोडूसग सण वद्ध सिद्धत्था। कोद्दव रालग मूलग बीयाणं कोट्ठयाईसु // 999 // निक्खित्ताणं एयाणुक्कोसठिईए सत्त वरिसाइं। . होइ जहन्नेण पुणो अंतमुहुत्तं समग्गाणं // 1000 // जोयणसयं तु गंता अणहारेणं तु भंडसंकंती। वायागणिधूमेहि य विद्धत्थं होइ लोणाई / // 1001 // 84