________________ नेगम संगह ववहार रिज्जुसुए चेव होइ बोद्धव्वे। सद्दे य समभिरूढे एवंभूए य मूलनया . // 847 // एक्केक्को य सयविहो सत्त नयसया हवंति एवं तु / / बीओ वि य आएसो पंचेव सया नयाणं तु // 848 // जन जयट्ठा कीयं नेव वुयं नेव गहियमन्नेसि / आहड पामिच्चं चिय कप्पए साहुणो वत्थं . // 849 // अंजणखंजणकद्दमलित्ते, मूसगभक्खियअग्गिविदड्डे। उन्निय कुट्टिय पज्जवलीढे, होई विवागो सुहो असुहो वा / / 850 // नवभागकए वत्थे चउरो कोणा य दुन्नि अंता य। दो कन्नावट्टीउ मज्झे वत्थस्स एक्कं तु // 851 / / चत्तारि देवया भागा, दुवे भागा य माणुसा। आसुरा य दुवे भागा, एगो पुण जाण रक्खसो // 852 // देवेसु उत्तमो लाभो, माणुसेसु य मज्झिमो / आसुरेसु य गेलन्नं, मरणं जाण रक्खसे // 853 // आगम सुय आणा धारणा य जीए य पंच ववहारा / केवल मणोहि चउदस दस नवपुव्वाइ पढमोऽत्थ कहेहि सव्वं जो वुत्तो, जाणमाणो वि गूहइ / न तस्स दिति पच्छित्तं, बिंति अन्नत्थ सोहय // 855 // न संभरे य जे दोसे, सब्भावा न य मायओ। पच्चक्खी साहए ते उ, माइणो उ न साहए // 856 // आयारपकप्पाई सेसं सव्वं सुयं विणिद्दिटुं। देसंतरट्ठियाणं गूढपयालोयणा आणा // 857 // गीयत्थेणं दिन्नं सुद्धि अवहारिऊण तह चेव। दितस्स धारणा तह उद्धियपयधरणरूवा वा - // 854 // // 858 // 02