________________ . . // 756 // आलोइज्जइ गुरुणो पुरओ कज्जेण हत्थसयगमणं / समिइपमुहाण मिच्छाकरणे कीरइ पडिक्कमणं // 751 // सद्दाइएसु रागाइविरयणं साहिउं गुरूण पुरो। दिज्जइ मिच्छादुक्कडमेयं मीसं तु पच्छित्तं // 752 // कज्जो अणेसणिज्जे गहिए असणाइए परिच्चाओ। कीरइ काउस्सग्गो दिढे दुस्सविणपमुहम्मि : // 753 / / निविगयाई दिज्जइ पुढवाइविघट्टणे तवविसेसो / तवदुद्दमस्स मुणिणो किज्जइ पन्जायवुच्छेओ. // 754 // पाणाइवायपमुहे पुणव्वयारोवणं विहेयव्वं। ... ठाविज्जइ न वएसुं कराइघायप्पदुट्ठमणो // 755 // पारंचियमावज्जइ सलिंगनिवभारियाइ सेवाहिं। अव्वत्तलिंगधरणे बारसवरिसाइं सूरीणं नवरं दसमावत्तीए नवममज्झावयाण पच्छित्तं / छम्मासे जाव तयं जहन्नमुक्कोसओ वरिसं // 757 // दस ता अणुसज्जंती जा चउदसपुव्वि पढमसंघयणी। तेण परं मूलंतं. दुप्पसहो जाव चारित्ती // 758 // सामायारी ओहम्मि ओहनिज्जुत्तिजंपियं सव्वं / सा पयविभागसामायारी जा छेयगंथुत्ता // 759 // इच्छा मिच्छा तहक्कारो आवस्सिया य निसीहिया / आपुच्छणा य पडिपुच्छा छंदणा य निमंतणा उवसंपया य काले सामायारी भवे दसविहा उ। .. एएसिं तु पयाणं पत्तेयपरूवणं वोच्छं // 761 // जइ अब्भत्थिज्ज परं कारणजाए करेज्जं से कोई / तत्थ य इच्छाकारो न कप्पइ बलाभिओगो उ // 762 // // 760 // 14.