________________ // 715 // // 716 // // 717 // // 718 // // 719 // // 720 // नवमं पच्चक्खाणं लक्खा चुलसी पयाण परिमाणं / विज्जप्पवाय पनरस सहस्स एक्कारस उ कोडी छव्वीसं कोडीओ पयाण-पुव्वे अवंझणामम्मि / छप्पन्न लक्ख अहिया पयाण कोडी उ पाणाऊ किरियाविसालपुव्वं नव कोडीओ पयाण तेरसमं / अद्धत्तेरसकोडी चउदसमे बिंदुसारम्मि पढ़मं आयारंगं अट्ठारस पयसहस्सपरिमाणं / एवं सेसंगाण वि दुगुणादुगुणप्पमाणाई पंच नियंठा भणिया पुलाय बउसा कुसील निग्गंथा। होइ सिणाओ य तहा एक्केक्को सो भवे दुविहो गंथो मिच्छत्तधणाइओ मओ जे य निग्गया तत्तो / ते निग्गंथा वुत्ता तेसिं पुलाओ भवे पढमो . मिच्छत्तं वेयतियं हासाई छक्कगं च नायव्वं / कोहाईण चउक्कं चउदस अभिंतरा गंथा . खेत्तं वत्थु धणधन्नसंचओ मित्तनाइसंजोगो। / जाणसयणासणाणि य दासा दासीउ कुवियं च धन्नमसारं भन्नइ पुलायसद्देण तेण जस्स समं / चरणं सो हु पुलाओ लद्धीसेवाहि सो य दुहा .. उवगरणसरीरेसुं बउसो दुविहो दुहा वि पंचविहो। आभोग अणाभोए संवुड अस्संवुडे सुहुमे आसेवणा कसाए दुहा कुसीलो दुहा वि पंचविहो / नाणे दंसण चरणे तवे य अहसुहुमए चेव उवसामगो य खवगो दुहा नियंठो दुहा वि पंचविहो / पढमसमओ अपढमो चरम अचरमो अहासुहुमो ... . 1 // 721 // // 722 // // 723 // // 724 // // 725 // // 726 //