________________ // 703 // - // 704 // // 705 // // 706 // // 707 // // 708 // तो पुंवेयं तत्तो अप्पच्चक्खाणपच्चखाणा य। आवरणकोहजुयलं पसमइ संजलणकोहं पि एयक्कमेण तिन्नि वि माणे मायाउ लोह तियगं पि। नवरं संजलणाभिहलोहतिभागे इय विसेसो . संखेयाई किट्टीकयाइं खंडाई पसमइ कमेणं / पुणरवि चरिमं खंडं असंखखंडाई काऊण अणुसमयं एक्केक्कं उवसामइ इह हि सत्तगोवसमे। होइ अपुल्वो तत्तो अनियट्टी होइ नपुमाइ पसमंतो जा संखेयलोहखंडाओ चरिमखंडस्स। संखाईए खंडे पसमंतो सुहुमराओ सो इय मोहोवसमम्मि कयम्मि उपसंतमोहगुणठाणं। सव्वट्ठसिद्धिहेउं संजायइ वीयरायाणं अणावायमसंलोए परस्साणुवघायए। समे अज्झुसिरे या वि अचिरकालकयम्मि य विच्छिन्ने दूरमोगाढे नासन्ने बिलवज्जिए। तसपाणबीयरहिए उच्चाराईणि वोसिरे उप्पायं पढमं पुण एक्कारसकोडिपयपमाणेणं / बीयं अग्गाणीयं छन्नई लक्खपयसंखं विरियप्पवायपुव्वं सत्तरिपयलक्खलक्खियं तइयं / अत्थियनत्थिपवायं सट्ठीलक्खा चउत्थं तु नाणप्पवायनाम एवं एगूणकोडिपयसंखं। ' सच्चप्पवायपुव्वं छप्पयअहिएगकोडीए आयप्पवायपुव्वं पयाण कोडी उ हुँति छत्तीसं / समयप्पवायगवरं असीई लक्ख हिय पयकोडी // 709 // // 710 // // 711 // // 712 // // 713 // // 714 // SO