________________ कप्पट्ठिओ वि एवं छम्मासतवं करेइ.सेसा उ।। अणुपरिहारियभावं वयंति कप्पट्ठियत्तं च . // 607 // एवं सो अट्ठारसमासपमाणो य वन्निओ कप्पो। .. संखेवओ विसेसो वसेससुत्ताउ नायव्वो // 608 // कप्पसम्मत्तीए तयं जिणकप्पं वा उविति गच्छं वा। पडिवज्जमाणगा पुण जिणस्सगासे पवज्जति : // 609 // तित्थयरसमीवासेवगस्स पासे व नो व अन्नस्स। एएसिं जं चरणं परिहारविसुद्धिगं तं तु // 610 // लंदं तु होइ कालो सो पुण उक्कोस मज्झिम जहन्नो। उदउल्लकरो जाविह सुक्कई सो होइ उ जहन्नो // 611 // उक्कोस पुव्वकोडी मज्झे पुण होंति एगठाणाईं। एत्थ पुण पंचरतं उक्कोसं होइ अहलंदं . // 612 // जम्हा उ पंचरत्तं चरंति तम्हा उ हुंतिऽहालंदी। पंचेव होइ गच्छो तेर्सि उक्कोसपरिमाणं // 613 // जा चेव य जिणकप्पे मेरा सा चेव लंदियाणं पि। नाणत्तं पुण सुत्ते भिक्खायरिमासकप्पे य // 614 // अहलंदिआण गच्छे अप्पडिबद्धाण जह जिणाणं तु / नवरं कालविसेसो उउवासे पणग चउमासो // 615 // गच्छे पडिबद्धाणं अहलंदीणं तु अह पुण विसेसो। उग्गह जो तेसिं तु सो आयरियाण आभवइ // 616 // एगवसहीए पणगं छव्वीहीओ य गामि कुव्वंति। . दिवसे दिवसे अन्नं अडंति वीहीसु नियमेणं // 617 // पडिबद्धा इयरे वि य एक्केक्का ते जिणा य थेरा य। अत्थस्स उ देसम्मि य असमत्ते तेसि पडिबंधो // 618 // 52