________________ // 523 // // 524 // // 525 // // 526 // // 527 // // 528 // जइ एगागी वि हु विहरणक्खमो तारिसी व से इच्छा। तो कुणइ तमन्नहा गच्छवासमणुसरइ निअमेणं . पत्तेयबुद्धसाहूण होई वसहाइदंसणे बोही / पोत्तियरयहरणेहिं तेसिं जहण्णो दुहा उवही मुहपोत्ती रयहरणं तह सत्त य पत्तयाइनिज्जोगो। उक्कोसो वि नवविहो सुयं पुणो पुव्वभवपढियं एक्कारस अंगाइं जहन्नओ होइ तं तहुक्कोसं / देसेण असंपुन्नाई हुंति पुव्वाइं दस तस्स लिंगं तु देवया देइ होइ. कइया वि लिंगरहिओ वि। एगागी च्चिय विहरइ नागच्छइ गच्छवासे सो उवगरणाइं चउद्दस अचोलपट्टाई कमढयजुआई। अजाण वि भणियाई अहियाणि वि हुंति ताणेवं उग्गहऽणंतग पट्टो अड्डोरुय चलणिया य बोद्धव्वा / अब्मिंतर बाहिनियंसणी य तह कंचुए चेव उक्कच्छिय वेगच्छिय संघाडी चेव खंधगरणी य। . ओहोवहिम्मि एए अज्जाणं पन्नवीसं तु अह उग्गहणंतगं नावसंठियं गुज्झदेसरक्खट्ठा / तं तु पमाणेणेक्कं घणमसिणं देहमासज्ज पट्टो वि होइ एगो देहपमाणेण सो उ भइयव्वो। . छायंतोग्गहणंतं कडिबद्धो मल्लकच्छा व. अद्धोरुगो वि ते दो वि गिहिउं छायए कडीभागं / / जाणुपमाणा चलणी असीविया लंखियाए व अंतोनियंसणी पुण लीणतरी जाव अद्धजंघाओ। बाहिरगा जा खलुगा कडीइ दोरेण पडिबद्धा . 45. // 529 // त // 530 // // 531 // // 532 // // 533 // // 534 //