________________ सूवोयणस्स भरियं दुगाउअद्धाणमागओ साहू।। भुंजइ एगट्ठाणे एवं किर मत्तगपमाणं // 511 // दुगुणो चउग्गुणो वा हत्थो चउरस्स चोलपट्टो उ। थेरजुवाणाणट्ठा सण्हे थुल्लम्मि य विभासा - // 512 // संथारुत्तरपट्टो अड्डाइज्जा य आयया हत्था / दोण्हं पि य वित्थारो हत्थो चउरंगुलं चेव : // 513 // आयाणे निक्खिवणे ठाणे निसियण तुयट्ट संकोए / पुब्बिं पमज्जणट्ठा लिंगट्ठा चेव रयहरणं // 514 // संपाइमरयरेणू पमज्जणट्ठा वयंति मुहपोत्तीं। ... नासं मुहं च बंधइ तीए वसहि पमज्जंतो // 515 // छक्कायरक्खणट्ठा पायग्गहणं जिणेहिं पन्नत्तं / जे य गुणा संभोगे हवंति ते पायंगहणे वि * // 516 // तणगहणानलसेवानिवारणा धम्मसुक्कझाणट्ठा / दिटुं कप्परगहणं गिलाणमरणट्ठया चेव // 517 // वेउव्वऽवाउडे वाइए य ही खद्धपजणणे चेव। .. तेसिं अणुग्गहट्ठा लिंगुदयट्ठा य पट्टो य // 518 // अवरे वि सयंबुद्धा हवंति पत्तेयबुद्धमुणिणो वि / पढमा दुविहा एगे तित्थयरा वदियरा अवरे // 519 // तित्थयरवज्जियाणं बोही उवही सुयं च लिंगं च / नेयाइँ तेसि बोही जाइस्सरणाइणा होइ // 520 // मुहपत्ती रयहरणं कप्पतिगं सत्त पायनिज्जोगो। . इय बारसहा उवही होइ सयंबुद्धसाहूणं // 521 // हवइ इमेसि मुणीणं पुव्वाहीयं सुअं अहव नत्थि / जइ होइ देवया से लिंगं अप्पइ अहव गुरुणो . // 522 // 44