________________ // 475 // // 476 // . // 477 // // 478 // // 479 // // 480 // दो चेवुक्कोसाए चउर जहन्नाए मज्झिमाए उ। अट्ठाहियं सयं खलु सिज्झइ ओगाहणाइ तहा इह चउरो गिहिलिंगे दसऽन्नलिंगे सयं च अट्ठहियं / विन्नेयं च सलिंगे समएणं सिज्झमाणाणं बत्तीसाई सिझति अविरयं जाव अट्ठअहियसयं / अट्ठसमएहि एक्केक्कूणं जावेक्कसमयम्मि बत्तीसा अडयाला सट्ठी बावत्तरी य बोद्धव्वा / चुलसीई छन्नई दुरहियमट्ठोत्तरसयं च वीसित्थीगाउ पुरिसाण अट्ठसयं एगसमयओ सिज्झे। दस चेव नपुंसा तह उवरि समएण पडिसेहो वीस नरकप्पजोइस पंच य भवणवण दस य तिरियाणं / इत्थीओ पुरिसा पुण दस दस सव्वे वि कप्पविणा कप्पट्ठसयं पुहवी आऊ पंकप्पभाउ चत्तारि / रयणाइसु तिसु दस दस छ तरूणमणंतरं सिज्झे दीहं वा हस्सं वा जं संठाणं तु आसि पुत्वभवे। . तत्तो तिभागहीणा सिद्धाणोगाहणा भणिया जं संठाणं तु इहं भवं चयंतस्स चरिमसमयम्मि। आसीय पएसघणं तं संठाणं तर्हि तस्स उत्ताणओ य पासिल्लओ य ठियओ निसन्नओ चेव / जो जह करेइ कालं सो तह उववज्जए. सिद्धो इंसिप्पन्भाराए उवरिं खलु जोयणस्स जो कोसो। कोसस्स य. छब्भाए सिद्धाणोगाहणा भणिया अलोए पडिहया सिद्धा, लोयग्गे य पइट्ठिया / इहं बोंदि चइत्ताणं, तत्थ गंतूण सिज्झइ 41 // 481 // // 482 // // 483 / / // 484 // // 485 // // 486 //