________________ अन्नाण कोह मय माण लोह माया रई य अरई य। निद्दा सोय अलीयवयण चोरिया मच्छर भया य . // 451 / / पाणिवह पेम कीलापसंग हासा य जस्स इय दोसा। अट्ठारस वि पणट्ठा नमामि देवाहिदेवं तं // 452 // जिणनामा नामजिणा केवलिणो सिवगया य भावजिणा। ठवणजिणा पडिमाओ दव्वजिणा भाविजिणजीवा // 453 // सुमइत्थ निच्चभत्तेण निग्गओ वासुपुज्ज (जिणो) चउत्थेण / पासो मल्ली वि य अट्ठमेण सेसा उ छटेणं // 454 // अट्ठमभत्तवसाणे पासोसहमल्लिख़िनेमीणं / वसुपुज्जस्स चउत्थेण छ?ब्भत्तेण सेसाणं // 455 // निव्वाणं संपत्तो चउदसभत्तेणं पढमजिणचंदो। सेसा उ मासिएणं वीरजिणिंदो य छटेणं . // 456 // वीरवरस्स भगवओ वोलिय चुलसीइवरिससहसेहिं / पउमाइचउवीस जह हुंति जिणा तहा थुणिमो // 457 // पढमं च पउमनाहं सेणियजीवं जिणेसरं नमिमो। बीयं च सूरदेवं वंदे जीवं सुपासस्स // 458 // तइयं सुपासनामं उदायिजीवं पणटुभववासं। वंदे सयंपभजिणं पुट्टिल्लजीवं चउत्थमहं // 459 // सव्वाणुभूइनाम दढाउजीवं च पंचमं वंदे / छटुं देवसुयजिणं वंदे जीवं च कित्तिस्स. // 460 // सत्तमयं उदयजिणं वंदे जीवं च संखनामस्स / पेढालं अट्ठमयं आणंदजियं नमसामि // 461 // योटिलजिणं च नवमं सुरकयसेवं सुनंदजीवस्स) सयकित्तिजिणं दसमं वंदे सयगस्स जीवं ति // 462 // 36.