________________ णवरं पढमो चरणे दंसणसुद्धीय बीय उस्सग्गो।। सुअनाणस्स तईओ नवरं चिंतेई तत्थ इमं // 179 // तइए निसाइयारं चिंतइ चरिमम्मि किं तवं काहं ? / छम्मासा एगदिणाइ हाणि जा पोरिसि नमो वा // 180 // मुहपोत्तीवंदणयं संबुद्धाखामणं तहालोए। . . वंदण पत्तेयं खामणाणि वंदणयसुत्तं च // 181 // सुतं अब्भुट्ठाणं उस्सग्गो पुत्तिवंदणं तह य / पज्जंते खामणयं एस विही पक्खिपडिक्कमणे . // 182 // चत्तारि दो दुवालस वीसं चत्ता य हुँति उज्जोया। देसिय राइय पक्खिय चाउम्मासे य वरिसे य . // 183 // पणवीस अद्धतेरस सलोग पन्नतरी य बोद्धव्वा। सयमेगं पणवीसं बे बावण्णा य वंरिसम्मि // 184 // साय सयं गोसद्धं तिन्नेव सया हवंति पक्खम्मि। पंच य चाउम्मासे वरिसे अट्ठोत्तरसहस्सा .. // 185 // देवसिय-चाउमासिय-संवच्छरिएसु पडिक्कमण-मज्झे। .. मुणिणो खामिज्जति तिन्नि तहा पंच सत्त कमा // 186 // भावि अईयं कोडिसहियं च नियंटियं च सागारं / विगयागारं परिमाणवं निरवसेसमट्ठमयं // 187 // साकेयं च तहऽद्धा पच्चक्खाणं च दसमयं / संकेयं अट्ठहा होइ अद्धायं दसहा भवे // 188 // होही पज्जोसवणा तत्थ य न तवो हवेज्ज काउं मे। . गुरुगणगिलाणसिक्खगतवस्सिकज्जाउलत्तेण // 189 // इअ चिंतिअ पुव्वं जो कुणइ तवं तं अणागयं विति / तमइक्कंतं तेणेव हेउणा तवइ जं उड़े // 190 // 17