________________ // 167 // // 168 // // 169 // // 170 // // 171 // - // 172 // वीसंभट्ठाणमिणं सब्भावजढे सढं भवइ एयं / कवडंति कइयवंति य सढ़या वि य हुंति एगट्ठा . गणिवायगजिटुज्जत्ति हीलिउं किं तुमे पणमिऊण / दरवंदियम्मि वि कहं करेइ पलिउंचियं एवं अंतरिओ तमसे वा न वंदई वंदई उ दीसंतो। एवं दिट्ठमदिटुं सिंगं पुण मुद्धपासेहिं करमिव मन्नइ दितो वंदणयं आरहंतियकरो त्ति / लोयइकराउ मुक्का न मुच्चिमो वंदणकरस्स आलिद्धमणालिद्धं रयहरणसिरेहिं होइ चउभंगो। वयणक्खरेहिं ऊणं जहन्नकाले वि सेसेहि दाऊण वंदणं मत्थएण वंदामि चूलिया एसा / मूयव्व सद्दरहिओ जं वंदइ मूयगं तं तु . ढड्डरसरेण जो पुण सुत्तं घोसेइ ढड्डरं तमिह। . चुडलिं व गिण्हिऊणं रयहरणं होइ चुडलिं तु पडिक्कमणे सज्झाए काउस्सग्गेऽवराहपाहुणए। . आलोयणसंवरणे उत्तमढे य वंदणयं चिइवंदण उस्सग्गो पोत्तियपडिलेह वंदणालोए / सुत्तं वंदण खामण वंदणय चरिक्तउस्सग्गो दसणनाणुस्सग्गो सुयदेवयखेत्तदेवयाणं च। . पुत्तियवंदण थुइतिय सक्कत्थय थोत्त देवसियं मिच्छादुक्कड पणिवाय-दंडयं काउसग्गतियकरणं / पुत्तिय वंदण आलोय सुत्त वंदणय खामणयं वंदणयं गाहातियपाढो छम्मासियस्स उस्सग्गो / पुत्तिय वंदण नियमो थुइतिय चिइवंदणा राओ // 173 // - // 174 // // 175 // // 176 // // 177 // // 178 // . 15