________________ आयरकरणं आढा तव्विवरीयं अणाढियं होइ। दव्वे भावे थद्धो चउभंगो दव्वओ भंइओ // 155 // पविद्धमणुवयारं जं अप्पिंतो णिजंतिओ होइ। जत्थ व तत्थ व उज्झइ कियकिच्चोवक्खरं चेव // 156 // संपिडिए व वंदइ परिपिंडियवयणकरणओ वा वि। टोलो व्व उप्फिडंतो ओसक्कोहिसक्कणे कुणइ // 157 // उवगरणे हत्थम्मि व घेत्तु निवेसेइ अंकुसं बिति / ठिउविट्ठरिंगणं जं तं कच्छवरिंगियं जाण // 158 // उट्टितनिवेसिंतो उव्वत्तइ मच्छउ व्व जलमज्झे। .. वंदिउकामो वऽन्नं झसो व परियत्तए तुरियं // 159 // अप्पपरपत्तिएणं मणप्पओसो य वेइयापणगं। तं पुण जाणूवरि जाणुहिट्ठाओ जाणुबाहिं वा - // 160 // कुणइ करे जाणुं वा एगयरं ठवइ करजुयलमज्झे / उच्छंगे करइ करे भयं तु निज्जूहणाईयं // 161 // भयइ व भयिस्सइ त्ति य इअ वंदइ ण्होरयं निवेसंतो। एमेव य मित्तीए गारव सिक्खाविणीओऽहं // 162 // नाणाइ तिगं मोत्तुं कारणमिहलोयसाहयं होइ / पूयागारवहेऊं नाणग्गहणे वि एमेव // 163 // हाउं परस्स दिद्धिं वंदंते तेणियं हवइ एयं / तेणोविव अप्पाणं गूहइ ओभावणा मा मे // 164 // आहारस्स उ काले नीहारस्सावि होइ पडिणीयं / . रोसेण धमधमंतो जं वंदइ रुट्ठमेयं तु // 165 // न वि कुप्पसि न पसीयसि कट्ठसिवो चेव तज्जियं एयं / सीसंगुलिमाईहि य तज्जेइ गुरुं पणिवयंतो - // 166 // 14