________________ ओहो सुओवउत्तो, सुइनाणी जइ वि गिण्हइ असुद्धं / तं केवली वि भुंजइ, अपमाणसुअं भवे इयरा // 158 // तत्थ वि अ ते अवेया, अवेयणा निम्ममा असंगा य / संसारविप्पमुक्का, पएसनिव्वत्तसंठाणा // 159 // कहिं पडिहया सिद्धा, कहिं सिद्धा पइट्ठिआ। कहिं बोंदि चइत्ताणं, कत्थ गंतूण सिज्झई . . // 160 // अलोए पडिहया सिद्धा, लोगग्गे य पइट्ठिया। इहिं बोंदि चइत्ताणं, तत्थ गंतूण सिज्झई // 161 // दीहं वा हस्सं वा, जं चरिमंभवे भवेज्ज संठाणं / तत्तो तिभागहीणा, सिद्धाणोगाहणा भणिया // 162 // जं संठाणं तु इहं, भवं चयंतस्स चरिमसमयम्मि। आसी य पएसघणं, तं संठाणं तहिं तस्स // 163 // तिण्णि सया तेत्तीसा, धणूं तिभागो य होइ नायव्वो। एसा खलु सिद्धाणं, उक्कोसोगाहणा भणिया // 164 // कह मरुदेवामाणं, नाभीतो. जेण किंचिदूणा सा। . तो किर पंचसय च्चिय, अहवा संकोचतो सिद्धा // 165 // इति चत्तारि य रयणीओ, रयणितिभागूणिया य बोधव्वा / एसा खलु सिद्धाणं,मज्झिमोगाहणा भणिआ . __ // 166 // एगा य होइ रयणी, अद्वेव य अंगुलाई साहिया। एसा खलु सिद्धाणं, जहण्णओगाहणा भणिया // 167 // ओगाहणाइ सिद्धा, भवतिभागेण होइ परिहीणा / . संठाणमणित्थंत्थं, जरमरणविप्पमुक्काणं // 168 // जत्थ य एगो सिद्धो, तत्थ अणंता भवक्खयविमुक्का। अण्णोण्णसमोगाढा, पुट्ठा सव्वे वि लोगंते // 169 // 212