________________ दासे 11 दुढे 12 य मूढे 13 य, अन्नत्ते 14 जुंगिए 15 इय / उच्चट्ठए 16 य भयए 17, सेहनिफेडिया 18 इय // 122 / / जे अट्ठारस भेआ, पुरिसस्स तहित्थिआइ ते चेव / गुन्विणी सबालवच्छा, दुन्नि इमे हुंति अन्ने वि // 123 // पंडए वाइए कीवे, कुंभी ईसालुएइ अ। सउणी तक्कमसेवी य, पक्खियापक्खिएइ अ. // 124 // सोगंधिए अ आसत्ते, दस एए नपुंसगा। संकिलट्ठ त्ति साहूणं पव्वाइउमकप्पिया // 125 // वद्धिए 1 चिप्पिए 2 चेव, मंतओसहिओहए 3-4 / इसिसत्ते 5 देवसत्ते 6, पव्वावेज्ज नपुंसए // 126 // अमन्दवैराग्यनिमग्नबुद्धय-स्तनूकृताशेषकषायवैरिणः / . ऋजुस्वभावाः सुविनीतमानसा, भजन्ति भव्या मुनिधर्ममुत्तमम्॥ 127 // खंती 1 मद्दव 2 अज्जव 3, मुत्ती 4 तव 5 संजमे य 6 बोधव्वे / सच्चं 7 सोयं 8 आकिंचणं 9 च बंभं च 10 जइधम्मो // 128 // यः शासनोड्डाहनिवारणादि-सद्धर्मकार्याय समुद्यतः सन् / तनोति मायां निरवद्यचेताः, प्रोक्तः स चाराधक एव सुजैः / / 129 // अणसणमूणोयरिया-वित्तीसंखेवणं रसृच्चाओ। कायकिलेसो संली-णया य बज्झो तवो होइ . // 130 // पायच्छित्तं विणओ, वेयावच्चं तहेव सज्झाओ। ' झाणं उस्सग्गो वि य, अभिंतरओ तवो होई // 131 // कालक्कमेण पत्तं, संवच्छरमाइणाओ जं जम्मि / तं तम्मि चेव धीरो, वाएज्जा सो य कालोयं // 132 // तिवरिसपरियागस्स उ, आयारपकप्पनाममज्झयणं / चउवरिसस्स य सम्मं, सूयगडं नाम अंगं ति / / 133 // 209