________________ // 50 // // 51 // / / 52 // // 53 // // 54 // // 55 // कुलकित्तिकलंककरं, चोरिज्जं मा करेह कइया वि। इह वसणं पच्चक्खं, संदेहो अत्थलाभस्स काऊण चोरवित्ति, जे अबुहा अहिलसंति संपत्तिं / विसभक्खणेण जीविय-मिच्छंता ते विणस्संति ते धन्ना सप्पुरिसा, जेसिं मणो पासिऊण परभूई / एसा पराभूइ च्चिय, एवं संकप्पणं कुणई वहबंधरोहमच्चू, चोरिज्जाओ हवंति इह लोए / नरयनिवासधणक्खय-दारिद्दाई च परलोए जं इत्थ जणपसंसाइ, परभवे सुगइमाइ होइ फलं / मुक्के अदत्तदाणे, तं जायं नागदत्तस्स . ओरालिय वेउव्विय, परदारांसेवणं पमुत्तूणं / गेही वए चउत्थे, सदारतुढेि पवज्जिज्जा . जंपंति महुरवयणं, वयणं दंसंति चंदमिव सोमं / तह वि न वीससिअव्वं, नेहविमुक्काण वेसाणं / तह अम्मापिउमरणं, सोऊणं दुण्ह रायपुत्ताणं / मणसा वि न माणिज्जा, दुरभिणिवेसाओ वेसाओ कामं कामंधेणं, न सावएणं कया वि होयव्वं / देहधणधम्मखयका-रिणी हि कामम्मि अइगिद्धी जह नारीउ नराणं, तह ताण नरा वि पासभूयाओ। तम्हा नारीओ वि हु, परपुरिसपसंगमुझंति ते सुरगिरिणो वि गुरू, जेसिं सीलेण निम्मला बुद्धी। गयसीलगुणा पुण मुण, मणुए तणुए तिणाओ वि वग्घाइया भयट्ठा, दुट्ठा वि जिआ न सीलवंताणं / नियछायं पि निरिक्खिय, सासंका हुंति गयसीला 203 // 56 // // 57 // // 58 // // 59 // // 60 // // 61 //