________________ जिणपडिमाणं पूया, भेया इगवीस नीर 1 चंदणयं 2 / भूसण 3 पुष्फो 4 वासं५, धूवं 6 फल 7 दीव 8 तंदुलयं 9 // 29 // नेवज्ज 10 पत्त 11 पूगी 12, वारि 13 सुवत्थं च 14 छत्त 15 चामरयं 16 / वाजित्त 17 गीय 18 नर्से 19, थुइ 20 कोसंवुड्ढि 21 इयहीरं // 30 // न चलंति महासत्ता, सुभिज्जमाणाओ सुद्धधम्माओ। इयरेसिं चलणभावे, पइन्नभंगो न एएहिं // 31 // सदात्मबोधेन विशुद्धिभाजो, भव्या हि केचित्स्फुरितात्मवीर्याः / भजन्ति सार्वोदितशुद्धधर्म, देशेन सर्वेण च केचिदार्याः // 32 // इह द्वितीयेषु कषायकेषु, क्षीणोपशान्तेषु विशा तिरचा। . सम्यक्त्वयुक्तेन शरीरिणैषा, लभ्येत देशाद्विरतिविशुद्धा // 33 // सम्मत्तम्मि य लद्धे, पलियपुहुत्तेण सावओ होइ।। चरणोवसमखयाणं, सायरसंखंतरा हुंति . धम्मरयणस्स जुग्गो, अक्खुद्दो रूववं पगइसोमो। लोगप्पियो अकूरो, भीरू असढों सदक्खिन्नो // 35 // लज्जालुओ दयालू, मज्झत्थो सोमदिट्ठि गुणरागी। सक्कहसुपक्खजुत्तो, सुदीहदंसी विसेसन्नू // 36 // वुड्डाणुगो विणीओ, कयन्नुओ परहियत्थकारी य। तह चेव लद्धलक्खो, इंगवीसगुणो हवइ सड्ढो // 37 // जे न खमंति परीसह-भयसयणसिणेहविसयलोभेहिं / सव्वविरई धरेउं, ते जुग्गा देसविरईए // 38 // // 34 // 201