________________ // 18 // वंदे नवकोडिसयं, पणवीसं कोडिलक्खतेवन्ना / अट्ठावीससहस्सा, चउसय अट्ठासिया पडिमा // 17 // द्वित्रिपंचाष्टादिभेदैः, प्रोक्ता भक्तीरनेकधा। द्विविधा द्रव्यभावाभ्यां, त्रिविधांगादिभेदतः पुष्पाद्यर्चा 1 तदाज्ञा 2 च, तद्रव्यपरिरक्षणं 3 / / उत्सव 4 स्तीर्थयात्रा 5 च, भक्तिः पंचविधा जिने // 19 // वरगंधधूवचुक्ख-क्खएहि कुसुमेहि पवरदीवेहिं / नेवज्जफलजलेहि य, जिणपूआ अट्ठहा होइ // 20 // अंगं गंधसुगंध, वन्नं रूवं सुहं च सोहग्गं / पावइ परमपयं पि हु, पुरिसो जिनगंधपूयाए // 21 // जिणपूयणेण पुज्जो, होइ सुगंधो सुगंधधूवेण / दीवेण दित्त(त्ति)मंतो, अक्खओं अक्खएहिं तु // 22 // पूयइ जो जिणचंद, तिण्णि वि संझासु पवरकुसुमेहिं / सो पावइ.सुरसुक्खं, कमेण मुक्खं सयासुक्खं // 23 // दीवालीपव्वदिणे, दीवं काऊण वद्धमाणग्गे / जो ढोयइ वरसफले, वरसं सफलं भवे तस्स ढोयइ बहुभत्तिजुओ, नेवज्जं जो जिणिंदचंदाणं / भुंजइ सो वरभोए, देवासुरमणुअनाहाणं . // 25 // जो ढोयइ जलभरियं, कलसं भत्तीइ वीयरागाणं / सो पावइ परमपयं, सुपसत्थं भावसुद्धीए // 26 // ण्हवण 1 विलेवण 2 वत्थजुग 3, गंधारुहणं च 4 पुष्फरोहणयं 5 / मालारुहणं 6 वनय 7, चुन्न 8 पडागाण 9 आभरणे 10 // 27 // मालकलावंसघरं 11, पुप्फप्पगरं च 12 अट्ठमंगलयं 13 / धूवुक्खेवो 14 गीयं 15, नर्से 16 वज्जं 17 तहा भणियं // 28 // 200 // 24 //