________________ // 8 // न सन्त्यभव्या न हि जातिभव्या, न दूरभव्या बहुसंसृतित्वात् / मुमुक्षवोऽभूरिभवभ्रमं हि, आसन्नभव्यास्त्वधिकारिणोऽत्र // 5 // एगविह 1 दुविह 2 तिविहं 3, चउव्विहं 4 पंचविहं 5 दसविहं१०सम्म। होइ जिणणायगेहिं, इइ भणियं णंतनाणीहिं अंतमुहत्तोवसमो, छावली सासाण वेअगो समओ। साहियतित्तीसायर-खइओ दुगुणो खओवसमो // 7 // उक्कोसं सासायण, उवसमिया हुंति पंचवाराओ। वेयगखयगा इक्कसि, असंखवारा खओवसमो बीयगुणे सासाणो, तुरियाइसु अट्ठिगारचउचउसु / उवसमखायगवेयग-खाओवसमा कमा हुति // 9 // तिहिं सहसपुहुत्तं, सयपुहुत्तं च होइ विरईए / एगभवे आगरिसा, एवइआ हुंति नायव्वा . - // 10 // तिण्हं सहसमसंखा, सहसपुहुत्तं च होइ विरईए। नाणाभवआगरिसा, एवतिआ हुंति नायव्वा // 11 // सम्मत्तमेव मूलं, निद्दिटुं जिणवरेहिं धम्मस्स / एगं पि धम्मकिच्चं, न तं विना सोहए नियमा // 12 // चउसद्दहण 4 तिलिंगं 3, दसविणय 10 तिसुद्धि 3 पंच गयदोसं 5 / अट्ठपभावण 8 भूसण 5, लक्खण-५ पंचविहसंजुत्तं // 13 // छव्विहजयणा 6 गारं, छब्भावण 6 भावियं च छट्ठाणं 6 / इय सत्तसट्ठि 67 लक्खण-भेयविसुद्धं च संमत्तं // 14 // भत्ती 1 मंगलचेइय 2, निस्सकड 3 अनिस्सचेइए वावि 4 / सासयचेइय पंचम ५-मुवइटुं जिणवरिंदेहि // 15 // सत्ताणवइसहस्सा, लक्खा छप्पन्न अट्ठकोडीओ। चउसय छयासीया, ति(ते)लुक्के चेइए वंदे // 16 // . 10