________________ पण पहर माह फग्गुणि पहरा चत्तारि चित्त वीसाहे। जिट्ठासाढे तिपहर तेण परं होइ अचित्तो . // 263 // सय जोयण जलमग्गे थलमग्ने जोयणाइ सट्ठवरं / हरडे पिंपर मिरीया समए अचित्त वावारो // 264 // जोयणसय गंतूणं अणाहारेण भंड संकंते / वायग्गीधूमेण य सिद्धत्थ होइ लवणाई // 265 // वीरजिणे सिद्धिगए बारसवरिसेहि गोयमो सिद्धो। तह वीराओ सोहम्मो वीसवरिसेहि सिद्धिगओ . // 266 // सिद्धिगए वीरजिणे चउसट्ठिवरिसेहि जंबुणा मुत्ती। केवलणाणेण समं वुच्छिना दस इमे ठाणा // 267 / / मण१ परमोहर पुलाए३ आहार४ खवग५ उवसम्मे६ / कप्पे७ संजमंतिग८ केवल९ सिद्धि१० जंबुम्मि वुच्छिन्ने // 268 // पुव्वाणं अणुओगो संघयण पढमयं च संठाणं / सुहुममहापाणझाणं वुच्छिना थूलभद्दम्मि // 269 // दसपुव्वी वुच्छेओ वयरे तह अद्धकीलसंघयणा। . पंचहि वाससएहिं चुलसी य समय अहियम्मि - // 270 // चउपुव्वीवुच्छेओ वरिससए सित्तरम्मि अहियम्मि। भद्दबाहुम्मि जाओ वीरजिणिंदे सिवं पत्ते // 271 // सिरिवीराऊ गएसु पणतीसहिए तिसयवरिसेसु। . पढमो कालगसूरी जाओ सामुज्जनामु त्ति . // 272 // चउसंयतिपन्नवरिसे कालिगगुरुणा सरस्सती गहिया। चिहुसयसत्तरिवरिसे वीराऊ विक्कमो जाओ // 273 // पंचेव य वरिससए सिद्धसेणदिवायरो पयडो। . सत्तसय वीस अहिए कालिकगुरू सक्कसंथुणिओ // 274 // . 177