________________ चउपहरोवरि जायं दहि सुद्धं हवइ कप्पणिज्जं च / तक्करजुयखीरेयी बीयदिणे होइ सा कप्पा. // 96 // निण्णीरं तिलमिस्सं संधाणं तह वियारियफलाणं / अचित्तभोइणो पुण कप्पइ तक्करमणुग्गलियं // 97 // निछल्लि-निबीयं फलमामगमामुहुत्तमुवरिकयं / वियलं तक्करमिस्सं न कप्पमुसणीकएण विणा // 98 // मोयाफलं पंडोली घोसाडफलं च रुक्खगुंदाइ। तप्पडिबद्धं जं नो हवइ तं कप्पमचित्तं // 99 // उक्किट्ठ-जहन्न-मज्झिमभेएहिं होइ तिविहमभत्तटुं। चउहार-सचित्त-परिच्चाएणुक्किट्ठभेएण // 100 // तिविहारेण जहन्ने मज्झिमए कयसचित्तवावारो। तत्थाणाहारवत्थू कप्पइ सव्वा वि रयणीए // 101 / / आयंबिलमवि तिविहं उक्किट्ठ-जहन्न-मज्झिमपएहिं / निण्णेहं जं वियलंपू(सू)वाईपकप्पए तत्थ // 102 // सियसिंधव-संठि-मिरि मेही सोवच्चलं च बिडलवणं / हिंगु-सुगंधिसुयाइं पकप्पए साइमं वत्थू // 103 // कारणजाएण जईण असणे सिद्ध हविज्ज तिमियं वा। पिटुं जलेण रद्धं घुग्घुरि छुट्ठाइ सिद्धेणं // 104 // पप्पड-वडया रुक्खा सिद्धा तिमणी कया हवइ कप्पा। भज्जियधण्णं तिण्णधण्णं कट्ठदलं सिणेहवियलं जं // 105 // . सव्वाणं धणाणं पिहुया दुद्धेण सिद्ध साइमयं / वेसण-वग्घाराई हलिद्दपभिई अकप्पं च // 106 // जं तिमिउं काउं नो सक्कइ तं तं न कप्पइ रयाइ। पाप हिंगु न कप्पइ दुकयदोसप्पसंगओ जम्हा // 107 // 143