________________ जलदोणमद्धभारं समुहाइं समूसिओ उ जो नव उ। माणुम्माणपमाणं तिविहं खलु लक्खणं नेयं // 1410 // सूणो यणो जवनं तिन्नि य मंसाई गोरसो जूसो / भक्खा गुललावणिया मूलफला हरियगं डागो // 1411 // होइ रसालू य तहा पाणं पाणीय पाणगं चेव / अट्ठारसमो सागो निरुवहओ लोइओ पिण्डो // 1412 // जलथलखहयरमंसाई तिन्नि जूसो उ जीरयाइजओ। मुग्गरसो भक्खाणि य खंडखज्जयपमोक्खाणि // 1413 // गुललावणिया गुडप्पपडीउ गुलहाणियाउ वा भाणिया। मूलफलंतिक्कपयं हरिययमिह जीरयाईयं. // 1414 // डाओ वत्थुलराईण भज्जिया हिंगजीरयाइजुया। सा य रसालू जा मज्जिय त्ति तल्लक्खणं चेव. // 1415 / / दो घयपला महु पलं दहियस्सऽद्धाढयं मिरिय वीसा / सगुलालाइ एस रसालू निवइजागा // 1416 // पाणं सुराइयं पाणियं जलं पाणगं पुणो एत्थ / दक्खावाणियपमुहं सागो सो तक्कसिद्धं जं // 1417 / / वुड्डी वा हाणी वा अणंत अस्संख संखभागेहि। वत्थूण संख अस्संखणंत गुणणेण. य विहेया // 1418 // समणीमवगयवेयं परिहार-पुलाय-मप्पमत्तं च। , चउदसपुव्विं आहारगं च न य कोइ संहरइ . // 1419 // चुल्लहिमवंतपुव्वावरेण विदिसासु सायरं तिसए / गंतूणंतरदीवा तिन्नि सए हुंति विच्छिन्ना // 1420 // अउणावन्नवसए किंचूणे परिहि तेसिमे नामा।. एगोरुअ आभासिय वेसाणी चेव नंगूली // 1421 // ... . 110