________________ जंबुदीवाउ असंखेज्जइमा अरुणवरसमुद्दाओं। बायालीससहस्से जगईउ जलं विलंघेउं // 1398 // समसेणीए सतरस एक्कवीसाई जोयणसयाई / उल्लसिओ तमरूवो वलयागारो अउक्काओ // 1399 // तिरिय पवित्थरमाणो आवरयंतो सुरालयचउक्कं / पंचमकप्पेऽरिझुम्मि पत्थडे चउदिसि मिलिओ // 1400 / / हेट्ठा मल्लयमूलट्ठिइट्ठिओ उवरि बंभलोयं जा। .. कुक्कुडपंजरागारसंठिओ सो तमक्काओ . // 1401 // दुविहो से विक्खंभो संखेज्जो अस्थि तह असंखेजो। पढमम्मि उ विक्खंभो संखेज्जा जोयणसहस्सा // 1402 // परिहीए ते असंखा बीए विक्खंभपरिहिजोएहि / हुंति असंखसहस्सा नवरमिमं होइ वित्थारो // 1403 // सिद्धा निगोयजीवा वणस्सई काल पोग्गला चेव / सव्वमलोगागासं छप्पेएऽणतया नेया ... // 1404 // अंग सुविणं च सरं उप्पायं अंतरिक्ख भोमं च / वंजण लक्खणमेव य अट्ठपयारं इह निमित्तं / // 1405 // अंगप्फुरणाईहिं सुहासुहं जमिह भन्नइ तमंगं। तह सुसुमिणय-दुस्सुमिणएहिं जं सुमिणयंति तयं // 1406 // इट्ठमणिटुं जं सरविसेसओ तं सरंति विन्नेयं / रुहिरवरिसाइ जम्मि जायइ भन्नइ तम्मुपायं // 1407 // गहवेहभूयअट्टहासपमुहं जमंतरिक्खं तं / भोमं च भूमिकंपाइएहिं नज्जइ वियारेहि // 1408 // इह वंजणं मसाई लंछणपमुहं तु लक्खणं भणियं। सुहअसुह-सूयगाइं अंगाईयाइं अट्ठा वि . // 1409 // 118