________________ या चव। भावा छच्चोवसमिय खइय खओवसम उदय परिणामा। दु नव द्वारि गवीसा तिग भेया सन्निवाओ य . // 1290 // सम्मचरणाणि पढमे दंसणनाणाई दाणलाभा य / ध्वभोगभोगवीरिय सम्मचरित्ताणि य बिइए // 1291 // चठनाणमणाणतिगं देसणतिग पंच दाणलद्धीओ। सम्मत्तं चारित्तं च संजमासंजमो तइए // 1292 // चउगइ चउक्कसाया लिंगतिगं लेसछक्कमन्नाणं / मिच्छत्तमसिद्धत्तं असंजमो तह चउत्थम्मि // 1293 // पंचमगम्मि य भावे जीवाभव्वत्तभव्वया चेव। पंचण्ह वि भावाणं भेया एमेव तेवन्ना // 1294 // ओदयिय-खओवसमिय-परिणामेहिं चउरो गइचउक्के / खइयजुएहिं चउरो तदभावे उवसमजुएहिं . // 1295 // एक्केक्को उवसमसेढीसिद्धकेवलिसु एवमविरुद्धा। . पन्नरस सन्निवाइयभेया वीसं असंभविणो . दुगजोगो सिद्धाणं केवलि-संसारियाण तियजोगो। घठजोगजुअं चउसु वि गईसु मणुयाण पण जोगो // 1297 // मोहस्सेवोवसमो खाओवसमो चउण्ह घाईणं / / उदयक्खयपरिणामा अट्ठण्ह वि हुंति कम्माणं // 1298 / / सम्माइचउसु तिग चउ भावा चउ पणुवसामगुवसंते। चउ खीणऽपुव्वे तिन्नि सेस गुणठाणगेगजिए // 1299 // इह सुहुमबायरेगिदियबितचउ असन्नि सन्नि पंचिंदी। पज्जत्तापज्जत्ता कमेण चउदस जियट्ठाणा // 1300 // धम्माऽधम्माऽऽगासा तियतियभेया तहेव अद्धा य / खंधा देस पएसा परमाणु अजीव चउदसहा // 1301 // 109