________________ रोमाहारा एगिदिया य नेरइयसुरगणा चेव। . सेसाणं आहारो रोमे पक्खेवओ चेव // 1182 // ओयाहारा मणभक्खिणो य सव्वे वि सुरगणा होति / सेसा हवंति जीवा लोमाहारा मुणेयव्वा // 1183 // अपज्जत्ताण सुराणऽणाभोगनिवत्तिओ य आहारो। पज्जत्ताणं मणभनखणेण आभोगनिम्माओ . // 1184 // जस्स जइ सांगराई ठिइ तस्स य तेत्तिएहिं पक्खेहिं / ऊसासो देवाणं वाससहस्सेहिं आहारो . // 1185 // दसवाससहस्साइं जहन्नमाऊ धरंति जे देवा। . .. तेसि चउत्थाहारो सत्तहिं थोवेहिं ऊसासो // 1186 // दसवाससहस्साई समयाई जाव सागरं ऊणं। दिवसमुहुत्तपुहुत्ता आहारूसासं सेसाणं - // 1187 // असीइसयं किरियाणं अकिरियवाईण होई चुलसीई। त्राणिय सत्तट्ठि वेणइयाणं च बत्तीसं .. . // 1188 // जीवाइनवपयाणं अहो ठविजंति सयपरयसद्दा।। तेसिपि अहो निच्चानिच्चा सद्दा ठविज्जन्ति // 1189 // कालस्सहाव नियई ईसर अप्प त्ति पंच वि पयाई / निच्चानिच्चाणमहो अणुक्कमेणं ठविज्जंति // 1190 // जीवो इह अत्थि सओ निच्चो कालाउ इय पढमभंगो। बीओ य अस्थि जीवो सओ अनिच्चो य कालाओ // 1191 / / एवं परओ वि हु दोन्नि भंगया पुव्वदुगजुया चउरो / लद्धा कालेणेवं सहावपमुहा वि पार्विति // 1192 // पंचहि वि चउक्केहिं पत्ता जीवेण वीसई भंगा। एवमजीवाईहि वि य किरियावाई असिइसंयं // 1193 // 100