________________ इह जीवाइपयाइं पुन्नं पावं विणा ठविज्जन्ति / तेसिमहोभायम्मि ठविज्जए सपरसद्ददुगं . // 1194 // तस्स वि अहो लिहिज्जइ काल जहिच्छा य पयदुगसमेयं / नियइ-स्सहाव ईसर अप्प त्ति इमं पयचउक्कं // 1195 / / पढमे भंगे जीवो नत्थि सओ कालओ तयणु बीए। परओ वि नस्थि जीवो कालाइय भंगगा दोन्नि // 1196 // एवं जइच्छाईहि वि पएहि भंगडुंगं दुगं पत्तं / मिलिया वि ते दुवालस संपत्ता जीवतत्तेणं // 1197 // एवमजीवाईहि वि पत्ता जाया तओ य चुलसीई / भेया अकिरियवाईण हुंति इमे सव्वसंखाए // 1198 // संत-मसंतं संतासंत-मवत्तव्यं सयअवत्तव्वं / असयअवत्तव्वं सयसयवत्तव्वं च सत्त पया . // 1199 // जीवाइनवपयाणं अहोकमेणं इमाइं ठविऊणं / जह कीरइ अहिलावो तह साहिज्जइ निसामेह . // 1200 // संतो जीवो को जाणइ ? अहवा किं व तेण नाएणं? / सेसपएहि वि भंगा इय जाया सत्त जीवस्स // 1201 // एवमजीवाईण वि पत्तेयं सत्त मिलिय तेसट्ठी। तह अन्ने वि हु भंगा चत्तारि इमे उइह हुति // 1202 // संती भावुप्पत्ती को जाणइ किंच तीए नायाए ? ! - एवमसंती भावुप्पत्ती सदसतिया चेव : // 1203 // तह अव्वक्तव्वा वि हु भावुप्पत्ती इमेहि मिलिएहिं / भंगाण सत्तसट्ठी जाया अन्नाणियाण इमा // 1204 // सुर निवइ जइ न्नाई थविरा वम माइ पिइसु एएसिं। मण वयण काय दाणेहिं चउव्विहो कीरए विणओ // 1205 // ..... . 101