________________ // 295 // // 296 // // 297 // // 298 // // 299 // // 300 // सव्वब्भंतरभूओ पंचनमुक्कार तेण तहभूओ। भण्णइ महसुअखंधो रुक्खे साहाण जह मूलं पउमद्दहजलदेसो पिहब्भूओ खंधसिंधुकुंभंभो / तित्थयरो वि अ देवो नरजाइपुढो न तप्पडिओ एवं चिअ सामाइअपिहब्भूओ पंचमंगलो खंधो / अण्णह तदिक्कदेसो एसो विउसाण उवएसो सक्कस्स य सक्कथए उवहाणं नेव संभविज्जा वि। ता कह नराण हुज्जा ? इअ संकप्पो महापावो सक्वत्थओ अ दुविहो देवकओ तहय गणहरेण कओ। दुण्हं सकयत्तणओ असंभवा हुज्ज उवहाणं उद्देससमुद्देसाणुण्णापमुहोवहाणकिरिआओ / गुरुपुव्वे अज्झयणे हवंति सकयम्मि नेव गुरू गुरुआणा य अणुण्णा दुविहा सावयमुणीणमहिगिच्च / सम्मं धरणे सम्मं धरणे दाणे अ कमवयणा जं पुण कत्थ वि सावयदाणे आवस्सगस्स अब्भासो। जह उवहाणाभावे तहऽणुण्णा एवऽभावम्मि तहविहसामग्गीए अभावओ सुद्धभावओ सुद्धी। कस्सइ जा साऽऽलोअणविहि व्व सव्वत्थ न पमाणं जुग्गाजुग्गविआरो अज्झयणज्झावणम्मि जिणभणिओ। आमघडजलाहरणविसेसओ महसुअक्खंधे सामण्णेणं जोग्गो अव्वुग्गहिअमई सुहंमण्णो। विहिआराहणरसिओ गुरूवएसंऽपऽभिमुहो वा वुग्गाहिओ अ जो सोऽणरिहो अहवा परम्मुहो विहिओ। महसुअखंधज्झयणे कुवक्खवग्गुव्व सवणे वि // 301 // // 302 // // 303 // // 304 // // 305 // // 306 // 33