________________ भावच्चणमुग्गविहारया य दव्वच्चणं तु. जिणपूआ। भावच्चणाउ भट्ठो हविज्ज दव्वच्वणुज्जुत्तो // 187 // एवं ते जइ बुद्धी सिद्धं अम्हाण सम्मयं सव्वं / मुणिकज्जंसे भावत्थओ अ होउ त्ति तुह वयणा // 188 // मुणिकज्जं पुण हरिभद्दओमासाईपइट्ठकप्पेसु / विहिवाए चरिए पुण केवलिकविलाइनिम्मविअं // 189 // दव्वत्थउत्तिकाउं पइट्टकिच्चं न साहुणो सम्मं / अण्णाणमूलमूलं वयणमिणं भणइ मूढमणो // 190 // दव्वत्थओ वि समए पडिसिद्धो सव्वहा न साहूणं।.. अणुमोअणाइरूवो काउस्सग्गे मुणीणं पि // 191 // किंचऽण्णजणो दूरे बलिपमुहं जिणवराणमोसरणे। अणिसेहा अणुमोअणमाइअविसओ अ दव्वथओ / // 192 // णाणाइविणयविहिणो चउहा उवयारविणयरूवो जो / सो दव्वथयाणण्णो कायव्वो सव्वसाहूणं .. // 193 // अण्णुण्णं साविक्खा दो वि थया सावयाण बहुदव्वो। बहुभावो साहूणं ववहारो बहुथवा णेओ // 19 // जह सावयाण धम्मो सव्वो आरंभकलुसिओ वि तहिं / सामइअं भावथओ इअरो दब्बु त्ति ववहारो // 195 // दव्वथओ खलु राया तयणुचरो सावयाण भावथओ। समणाणं विवरीआ पहाणभावेण ववहारो // 196 // नियदव्वथया अप्पो सहावसिद्धो सरूवबहुकंतो। . रययामयगयकंचणनयणं व गिहीण भावथओ // 197 // जं पुण कंचणमणिसोवाणंति अ वयणमागमे भणिअं। तत्थऽहिओ मुणिधम्मो तवसंजम न उण इअरो वि // 198 // 374