________________ तत्तो विसन्नचित्ता खमणा पासंडिआ विगयआसा / निअनिअठाणं पत्ता पन्भट्ठा दाणमाणेहिं मा पडिमाण विवाओ होहि त्ति विचिंतिऊण सिरिसंघो / कासी पल्लवचिंधं नवीणपडिमाण पयमूले . // 167 // तं सोऊणं रुट्ठो दट्टो खमणो वि कासि नगिणतं / / निअपडिमाणं जिणवरविगोवणं सो वि गयसन्नो // 168 // तेणं संपइपमुहप्पडिमाणं पल्लवंकणं नत्थि। अत्थि पुण संपईणप्पडिमाण विवायकालाओ // 169 // पुब्बिं जिणपडिमाणं नगिणतं नेव नविअ पल्लवओ। तेणं नागारेणं भेओ उभएसि संभूओ // 170 // एअं बोडिअकुमयं पडिअंतित्थाउ दूरतरदेसे। णो तित्थं बाहेई वणगिरिअग्गी जहा नयरं .. // 171 // तह वि अ पवट्टमाणं विवायहेउ त्ति मुणिअ भणिति / थूलमईणं एसा जुत्तिदिसा दंसिआ णेआ .. // 172 // एवं कुवक्खकोसिअसहस्सकिरणम्मि उदयमावण्णे / चक्खुप्पहावरहिओ कहिओ अ दिअंबरो पढमो // 173 // नवहत्थकायरायकिअसममहिमम्मि चित्तसिअपक्खे। गुरुदेवयपुण्णुदए सिरिहीरविजयसुगुरुवारे // 174 // इअ सासणउदयगिरि जिणभासिअधम्मसायराणुगयं / पाविअ पभासयंतो सहस्सकिरणो जयउ एसो // 175 // 372