________________ // 72 // // 73 // // 74 // // 75 // // 76 // // 77 // फलपूआइनिसेहं कुणमाणं सड्ढपुण्णिमो अरिहं / सुअदेवीथुइपमुहं पडिसेहतं तु आगमिआ . जिणपडिमाइनिसेहोवएसकुसलं लवंति लुपागा / तित्थद्धं पि पमाणं वयंतमरिहंतमवि कडुओ बीजो वण्णविहीणो पडिमं मोत्तूण लुंपगं सच्चं / अणुमित्तकम्मबंधं धम्ममभासंतमवि पासो एवं सव्वकुवक्खा पडिवण्णा भिण्णभिण्णतित्थयरं / परमत्था सिवभूइप्पमुहे ते तारिसे नऽन्ने सिद्ध वि य तम्मग्गाराहणपुव्वा य एवमवि सेसा / तित्थभिहाणाभासा भासाभासा य किरियासु निअनिअमयठिइहेऊ अत्थो सव्वेसिं सम्मओ नऽन्नो / सिद्धंतस्स वि सुद्धो पाढो वसहु व्व परतंतो तेण विवरीअअत्थं भासिज्जंतं विअत्तभासाए / न य पुक्करेइ सुत्तं आगरिसपुरिसगयणुगइ तेणेवागमपाढो न य ववहारप्पवायगो समए / भिन्नो वाऽभिन्नो वा भिन्नो निअमेण भिन्नत्थो सुत्तत्थोभयरूवो सिद्धंतो सुअहराण निअमेण / सुत्तं पुण संकेइअनिनायरयणामयं सुमयं संकेओ पुण दुविहो अणाइसिद्धो अ धुत्तमुत्तो अ।। पढमो जिणिदभणिओ बीओ भणिओ कुवक्खेहिं जह पक्खि पि सद्दो चउदसिसंकेइओ जिणिंदुत्तो / / पुण्णिमतिहिसंकेओ निम्मविओ कुमयवग्गेण नणु वेसि आयरियप्पमुहा पच्चक्खतित्थआभासा / तित्थाउ हुंति भिन्ना कहण्णु अरिहंतसिद्धा वि? 314 // 78 // // 79 // // 80 // // 81 // // 82 // // 83 //