________________ // 84 // जह वाइदेवसूरी पट्टे पउमप्पहो गणाहिवई / तेणं पसन्नचंदो सूरी ठविओ निययपट्टे सो अप्पाऊ सग्गं पत्तो ता.तस्स चेव पट्टम्मि / जयसेहरसूरिवरो, पउमप्पहसूरिणा ठविओ // 81 // जइ ता पिआमहो से कत्थ वि अण्णत्थ अहव नो होइ / तो बंधवेण गुरुणो, ठप्पो सो तस्स पट्टम्मि // 82 // एवं जइ सो जुग्यो, बंधव सीसो न अप्पणो होइ। .. एगो दोण्ण वि पट्टे ठप्पो अणुजेण ता विहिणा // 83 // संभूयविजय पट्टे, जह ठविओ भद्दबाहुणा गुरुणा / एगो वि थूलभद्दो, तओ स दुण्णं पि पट्टधरो गुरुबंधू वि विदूरे, जइ कत्थ वि होइ अहव णो सूरी / / ता समकुलो वि सूरी ठवेइ णियमेण तप्पट्टे. // 85 // देविंदसूरिपट्टे स माणगुत्तेण सूरिणा ठविओ / जह धम्मघोषसूरी, दिण्णो पट्टो ण जं मिच्छा . // 86 // इत्थमभिसेअपत्ता, णियमेणं पट्टधारिणो जाया / बहुआओ साहाओ बहुआई कुलाई ता जुत्तं // 87 // सुबहूणं गच्छाणं, एवं णाणाविहा वि परिवाडी / सिरिवद्धमाण जिणवर तित्थम्मि भविस्सई सुचिरं जह नंदीए भणिआ महगिरिसामिस्स पट्टपरिवाडी . बहुआओ भिण्णाओ, एवं पट्टावलीओ त्ति चउरासीइ गणाहिववराण तस्संखया गणा तम्हा / गणभेया पुण तेर्सि इय जुत्ता भिण्णपरिवाडी // 90 // इय अप्पाऊ, पुरिसो पट्टरिहो नेत्ति दूरमक्खित्तं / तं सुट्ठ भाविअव्वं, थेरावलिआइ कप्पस्स // 91 // - 344 // 88 // // 89 //