________________ जाया वयट्ठियस्स वि कया वि तस्सऽन्त्रणपरिभोगे / छुहतिण्हाइसएणं मणसंकप्पाओ वितिगिच्छा पुढे तेण गुरूणं भयवं ! जंपेह दुव्विकप्पस्स / णिच्छयओ किमवि फलं केवलकिरिआइ अस्थि ण वा ? // 6 // अह तेहिं भणियमेयं णत्थि फलं भद्द ! किमवि विमणस्स / तेणावधारियं तो किं ववहारेण विफलेण ? // .7 // इत्थंतरे य पुरिसा अवरे वि य पंच तस्स संमिलिया / तेसि संसग्गेणं जाया कंखावि नियधम्मे // 8 // अज्झत्थसत्थसवणा तस्सासंबरणए वि पडिवत्ती / पिच्छियकमंडलुजुए गुरूण तत्था वि से संका वयसमिइबंभचेरप्पमुहं ववहारमेव ठावेइ / .. तेण पुराणं किंचि वि पमाणमपमाणमवि तस्स // 10 // अह नियमयवुड्किए पयासियं तेण समयसारस्स / चित्तकवित्तणिवेसं नाडयरूवं मइविसेसा . // 11 // बाणारसीविलासं तओ परं विविहगाहदोहाइ / अबुहाण बोहणत्थं करेइ संथवणभासं च // 12 // सम्मत्तम्मि हु लद्धे बंधो नत्थि त्ति अविरओ भुज्जा / वयमग्गस्स अफासी न कुणइ दाणं तवं बंभं // 13 // णाणी सया. विमुत्तो अज्झप्परयस्स निज्जरा विउला / कुंयरपालप्पमुहा इय मुणिउं तम्मए लग्गा // 14 // वणवासिणो य नग्गा अट्ठावीसइगुणेहिं संविग्गा / मुणिणो सुद्धा गुरुणो संपइ तेसिं न संजोगो // 15 // तम्हा दिगम्बराणं एए भट्टारगा वि नो पुज्जा। तिलतुसमेत्तो जेसिं परिग्गहो णेव ते गुरुणो // 16 // 301