________________ साभाविओ समुदयकउ व्व एगतिओ व्व होज्जाहि / आगासाईआणं तिण्हं परपच्चओ निअमा . // 130 // विगमस्स वि एस विही समुदयजणिअम्मि सो उ दुविंगप्पो। समुदयविभागमेत्तं अत्थंतरभावगमणं च // 131 // तिन्नि व उप्पायाई अभिन्नकाला य भिन्नकाला य / अत्यंतरं अणत्थंतरं च दविआहिं नायव्वा // 132 // जो आकुंचणकालो सो चेव पसारिअस्स नो जुत्तो। तेसुं पडिवत्ती विगमे कालंतरं नत्थिः // 133 // उप्पज्जमाणकालं उप्पनं ति विगयं विगच्छंतं / . ... दविअं पण्णवयंतो तिकालविसयं विसेसेइ // 134 // दव्वंतरसंजोआहिं के वि दविअस्स दिति (बिति) उप्पायं / उप्पायत्थाकुसला विभागजाइं न इच्छेति // 135 // अणुदुअणुएहि आरद्धे दव्वे तिअणुअं ति निद्देसो / तत्तो अ पुण विभत्ते अणुत्तिं जाओ अणू होइ... // 136 // बहुआण एगसद्दे जइ संजोगाहि होइ उप्पाओ / नणु एगविभागम्मि वि जुज्जइ बहुआण उप्पाओ // 137 / / एगसमयम्मि एगदविअस्स बहुआ वि हुँति उप्पाया / उप्पायसमा विगमा ठिईओ उस्सग्गओ निअमा // 138 // कायमणवयणकिरिआरूवाइगईविसेसओ होइ / संजोअभेअओ जाणणा वि दविअस्स उप्पाओ // 139 // दुविहो धम्मावाओ अहेउवाओ अ हेउवाओ अ। . तत्थ उ अहेउवाओ भविआभविआदओ भावा // 140 // भविओ सम्मइंसणनाणचरित्तपडिवत्तिसंपन्नो। निअमा दुक्खंतविअत्तिलक्खणं हेउवायस्स . // 141 // 12