________________ // 48 // // 49 // // 50 // // 51 // // 52 // // 53 // रूवाइपज्जवा जे देहे जीवदविअम्मि सुद्धम्मि / ते अन्नोन्नाणुगया पण्णवणिज्जा भवत्थम्मि एवं एगे आया एगे दंडो अ होइ किरिआ य / करणविसेसेण य तिविहजोगसिद्धी उ अविरुद्धा नय बाहिरओ भावो अभिंतरओ अ अस्थि समयम्मि / नोइंदिरं पुण पडुच्च होइ अभिंतरो भावो दव्वट्ठिअस्स आया बंधइ कम्मं फलं च वेएइ। बिइअस्स भावमेत्तं न कुणइ नय को वि वेएइ दव्वट्ठिअस्स जो चेव कुणइ सो चेव वेअई निअमा / अन्नो करेइ अन्नो परिभुंजइ पज्जवनयस्स जं वयणिज्जविअप्पा संजुज्जंतेसु होति एएसु / . सा ससमयपण्णवणा तित्थयरासायणा अन्ना पुरिसज्जायं तु पडुच्च जाणओ पण्णवेज्ज अण्णयरं / परिकम्मणानिमित्तं दाएही सों विसेसं पि . ॥जीवकंडं // जं सामन्नग्गहणं दंसणमेअं विसेसिअं नाणं / दोण्ह वि णयाण एसो पाडेक्कं अत्थपज्जाओ दव्वट्ठिओ वि होउण दंसणे पज्जवट्ठिओ होइ / उवसमिआईभावं पडुच्च नाणे उ विवरीअं मणपज्जवनाणंतो नाणस्स य दंसणस्स य विसेसो / केवलनाणं पुण दंसणं ति नाणं ति अ समाणं केई भणंति जइआ जाणइ तइआ ण पासइ जिणो त्ति / मुत्ति (सुत्त) मवलंबमाणा तित्थयरासायणाभीरू // 54 // // 55 // // 56 // // 57 // // 58 //