________________ साधनदोषोद्भावनं दूषणम् // 28 // अभूतदोषोद्भावनानि दूषणाभासा जात्युत्तराणि // 29 // तत्त्वसंरक्षणार्थं प्राश्निकादिसमक्षं साधनदूषणवदनं वादः॥ 30 // स्वपक्षस्य सिद्धिर्जयः // 31 // असिद्धिः पराजयः // 32 // स निग्रहो वादिप्रतिवादिनोः : // 33 // न विप्रतिपत्त्यप्रतिपत्तिमात्रम् // 34 // नाऽप्यसाधनाङ्गवचनमदोषोद्भावने , . // 35 // स्वेष्टार्थसाधकमबाधितं गूढपदसमूहात्मकं प्रसिद्धावयवोपेतं वाक्य // 36 // पत्रम् नैगमः द्वितीय स्याध्यायस्य द्वितीयमाह्निकम् अतिरस्कृतान्य पक्षोऽभिप्रेत पदार्थाशग्राही ज्ञातुरभिप्रायो नयः॥ 1 // द्रव्यपर्यायान्यतरस्य उभयस्य वा गौण मुख्य भावेन प्ररुपण प्रवीणो // 2 // अनिष्पन्न पर्यायस्य संकल्पमात्र ग्राही नेगमः // 2 // अभेदरूपतया वस्तुजातस्य संग्राहक:संग्रहः / // 3 // संग्रहग्रहीतार्थानां भेदरुपतया विधिपूर्वकं व्यावहरणं व्यवहारः॥ 4 // वर्तमानमात्र पर्यायग्राही ऋजुसूत्रः // 5 // कालादि भेदेन शब्दस्य भिन्नार्थवाचकत्वेन अभ्युपगमपरः शब्दः // 6 // निरुक्ति भेदजन्य भिन्न पर्यायवाचकशब्दात् पदार्थनानात्व निरुपकः समभिरुढः // 7 // शब्दप्रवृत्ति निमित्त भूत क्रिया युक्तस्य अर्थस्य तच्छब्द वाच्यत्वेन प्ररुपक एवं भूतः // 8 // 128